देश की रक्षा के लिए घर-परिवार को छोड़ अफगानिस्तान के काबुल जैसी संवेदनशील और असुरक्षित जगह ड्यूटी कर रहे इस जवान की मप्र के ग्वालियर जिले की डबरा तहसील में स्थित जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है।
ग्वालियर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के जवान सतेंद्र यादव की यह पीड़ा काबुल से भारत पहुंची है। ‘जिसकी जमीन पर दबंग कब्जा कर लें वह चैन से कैसे रह सकता है? जमीन का सीमांकन हुआ तो दबंगों ने कब्जा कर स्वजनों को धमकाया। मैं काबुल में भारतीय दूतावास में सुरक्षा व्यवस्था में पदस्थ हूं। डयूटी को छोड़कर भारत नहीं आ सकता इसलिए ग्वालियर प्रशासन से गुहार लगाई है।’
सतेंद्र की शिकायत के निराकरण के लिए काबुल स्थित भारत के राजदूतावास से फर्स्ट सेक्रेटरी ने कलेक्टर ग्वालियर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को निराकरण-कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा है। यह भी कहा है कि राजदूतावास की सुरक्षा में लगा सतेंद्र व्यथित है और ड्यूटी भी संतोष के साथ नहीं कर पा रहा है। इसके बाद से ही सतेंद्र व्यथित हैं। ऐसे में दूतावास की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। इस पत्र के आधार पर ग्वालियर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है।
10 अगस्त को गांव लदेरा के ही दबंग व्यक्ति गुट्टी बघेल एवं उसके बेटों के द्वारा खेत पर लगे पिलर व तार फेंसिंग तोड़ दिया गया और पिता को अपशब्द कहकर धमकाया गया। सतेंद्र ने गुट्टी व उसके बेटों पर कार्रवाई की मांग की है। सिक्योरिटी असिस्टेंट के रूप में तैनात सतेंद्र यादव पुत्र हुकुम सिंह यादव ने अपनी शिकायत में बताया है कि डबरा के ग्राम लदेरा में चार अगस्त 2020 को जमीन पर सीमांकन किया गया।
राजस्व निरीक्षक हरीसिंह एवं पटवारी अमित कुमार ने पुलिस की मौजूदगी में भूमि सीमांकन की कार्रवाई की और पिता हुकुम यादव से हस्ताक्षर भी करा लिए गए। इसके बाद पिता ने भूमि के चारों ओर सीमेंट के पिलर व तार फेंसिंग की।
इस जमीन के मामले के कारण सतेंद्र यहां संतोषजनक ढंग से ड्यूटी नहीं कर पा रहा है जो कि राजदूतावास को खतरे में डालने जैसा हो सकता है। इस मामले में दबंग आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। भारत के राजदूतावास काबुल से फर्स्ट सेक्रेटरी देवनाथ रे ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और डबरा एसडीएम आरके पांडेय को पत्र लिखा है।
कलेक्टर को लिखे गए पत्र में शिकायत के बारे में बताते हुए निराकरण के लिए कहा गया और यह भी बताया गया कि काबुल में सुरक्षा हालात अप्रत्याशित हैं और यहां बड़ा खतरा राजदूतावास के लिए बरकरार रहता है।