किसानों के पास मैसेज(संदेश) नहीं पहुंच रहे हैं। पूरे गांव की मैपिंग नहीं हो सकी है। इस वजह से किसान अपनी फसल का विक्रय नहीं कर पा रहे हैं। साख सहकारी समिति व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों से तक भी शिकायतें पहुंची हैं। अभी 400 गांव की मैपिंग हो सकी है। जबकि जिले की 257 पंचायतों में 552 गांव है। करीब एक सैकड़ा से ज्यादा गांव की मैपिंग नहीं हुई है।
ग्वालियर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): प्रशासन ने भले ही जिले में एक महीने पहले खरीद शुरू कर दी है, लेकिन खरीद केन्द्रों पर व्यवस्थाएं कुछ नही की हैं। अव्यवस्थाआें के कारण किसानाें काे खासी परेशानी झेलना पड़ रही है।
मंदी के चलते डबरा में किसान आंदोलन कर रहे थे। साथ ही चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को उठाया था। इसके चलते सरकार ने एक महीना पहले कांटे शुरू कर दिए। वैसे सरकारी खरीद के लिए तौल कांटे लगाने की तारीख 25 नवंबर निर्धारित थी, लेकिन 26 अक्टूबर में ताैल कांटे चालू कर दिए गए। इस बार जिले में धान की बंपर पैदापार हुई है। धान पर मंदी होने की वजह से व्यापारी काफी सस्ती खरीद रहा है। मंडी में 1400 से 1600 रुपये क्विंटल धान खरीद रहे हैं। जबकि बाजार में 1400-1500 रुपये क्विंटल लिया जा रहा है। इससे किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही है।
एक कांटे पर 750 ही किसानों की फसल खरीदी जाएगी। जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी सीएस जादौन का कहना है कि 12 नए खरीद केंद्र मांगे है। नए केंद्र मिलने के बाद सभी गांव की मैपिंग हो जाएगी। किसान के पास मैसेज आने के बाद ही वे अपनी फसल बेचने जा सकता है, लेकिन किसानों को मैसेज नहीं पहुंच रहे हैं। इससे किसान फसल बेचने नहीं जा पा रहा है। इसको लेकर प्रशासन से शिकायत भी की गई है। अब एक नई समस्या सामने आ गई है। पूरे गांव की मैपिंग नहीं हो सकी है। इस वजह से बड़ी संख्या में किसान अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं। जिले में 36 धान व 10 मोटे अनाज के कांटे लगाए गए हैं।