राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। ग्वालियर के तीनों उपनगरों सहित ग्रामीण अंचल में अब नशे का कारोबार करने वालों ने अपनी जड़ें जमा ली हैं, इनकी जड़ें इतनी गहराई तक पहुंच गई हैं और अब यह डिमांड के मुताबिक सप्लाई करने लगे हैं। इनके पास कौन सा नशा नहीं है। गांजा मांगोगे तो गांजा मिल जाएगा, हेरोइन की तलबगार को हेरोईन की पुडिय़ा हाजिर करा देंगे। ग्वालियर में लगातार हो रहे नशे की बरादमगी इशारा करती है कि नशे का यह खेल अच्छी तरह से फल-फूल रहा है। पुलिस नशे के तस्करों को तो पकड़ लेती है पर जड़ों को इसलिए नहीं काट पा रही है क्योंकि यह ग्वालियर से सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर बैठे हैं और वहां जाकर एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई करना कोई हंसी-खेल नहीं है। शहर में तेजी से क्लब कल्चर बढ़ रहा है। पब, क्लब व हुक्काबार खुलते जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस को इनकी भनक नहीं है। पुलिस को भनक तो है पर पुलिस का हाथ भी इन सबको चलाने वालों के सिर पर है। इसलिए जब ऊपर से डंडा चलता है तभी पुलिस कुछ पर डंडा चलाकर कार्रवाई पूरी करने की रस्म अदा कर देती है और इसके कुछ दिनों बाद सब कुछ पुरानी पटरी पर लौट आता है।