हालत यह है कि कई इलाकों में मरीज मिलने के बाद भी उसे कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित नहीं किया जा सका है।
ग्वालियर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): बुलेटिन में 12 सितंबर से 16 सितंबर के बीच रोज 599 कंटेनमेंट बताए गए हैं जबकि इन पांच दिनों में अफसरों ने 983 नए मरीज मिलने की पुष्टि की है। कंटेनमेंट व एक्टिव केस को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि डिस्चार्ज रेट बढ़ने से यह स्थिति बनी है। सरकारी तौर पर रोज रात 9 बजे जारी होने वाले हैल्थ बुलेटिन में कंटेनमेंट के आंकड़े एक जैसे आ रहे हैं।
कोरोना संक्रमित मरीजों और कंटेनमेंट जोन को लेकर जिला प्रशासन गफलत में है। भारी संख्या में मरीज मिलने के कारण आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार मरीजों को खोजकर उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराने या होम आइसोलेशन की अनुमति देने का जिम्मा जिन अफसरों को सौंपा गया है, वे समय पर उचित फैसले नहीं ले पा रहे हैं।
बुलेटिन के मुताबिक पिछले 14 दिन अर्थात 3 से 16 सितंबर के बीच 2 हजार 632 मरीज संक्रमित मिले हैं। दूसरी तरफ इन 14 दिनों में कंटेनमेंट क्षेत्र सिर्फ 17 ही बढ़े हैं। 3 सितंबर को इनकी संख्या 616 थी जो 16 सितंबर को 599 रह गई थी। जाहिर है कि शुरुआती तौर पर सैंपल लेते समय मरीज की जानकारी ठीक से नहीं लिखी जा रही है। इसी कारण तालमेल के अभाव के कारण कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित नहीं हो पा रहे हैं। बुलेटिन के माध्यम से जारी होने पर इन आंकड़ों पर अब संदेह होने लगा है।
अलग-अलग क्षेत्र के इंसीडेंट कमांडर भी कमांड सेंटर के आंकड़ों से संतुष्ट नहीं है। उनका मानना है कि ठीक से फीडिंग न होने से ऐसे हालात बनते हैं। इंसीडेंट कमांडरों के मुताबिक एक मरीज मिलने पर 14 दिन के लिए कंटेनमेंट क्षेत्र बनता है।
कोरोना रिपोर्ट में ऐसे कई मरीज रोज मिल रहे हैं, जिनके मोबाइल नंबर और पते सही नहीं होते हैं या फिर आधे-अधूरे होते हैं। ऐसे मरीज दो से तीन दिन की तलाश के बाद मुश्किल से मिल रहे हैं। इस दौरान संक्रमित लोग दूसरे लोगों से मिल रहे हैं, बाजारों में घूम रहे हैं। इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ रहा है।