राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि/ सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हाथरस भगदड़ मामले पर दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि घटना परेशान करने वाली है, लेकिन ऐसे मामलों में हाइकोर्ट ही पर्याप्त है। कोर्ट ने याचिका लगाने वाले को हाईकोर्ट जाने को कहा।
इस जनहित याचिका में हादसे की जांच की मांग की गई थी। 2 जुलाई को दाखिल याचिका में कहा गया था- जांच के लिए पांच एक्सपर्ट की टीम गठित की जाए। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच हो।
याचिका CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई के लिए आई। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर याचिका में घटना पर उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने एवं लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई शुरू करने की मांग भी की थी।
इसमें सुप्रीम कोर्ट से राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे किसी भी धार्मिक या अन्य आयोजन के आयोजन में जनता की सुरक्षा के लिए भगदड़ या अन्य घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें।
हाथरस हादसे के 7 दिन बाद UP सरकार ने पहला एक्शन लिया। SDM, CO समेत 6 अफसरों को सस्पेंड कर दिया। सरकार ने SIT की रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की। SIT ने सोमवार रात CM योगी को 900 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी।
SIT रिपोर्ट के बाद सरकार ने 9 पॉइंट पर बयान जारी किया। इसमें आयोजकों और प्रशासनिक अधिकारियों को लापरवाह बताया गया। लेकिन कहीं भी भोले बाबा का जिक्र नहीं है। इस तरह जिला प्रशासन के बाद सरकार से भी भोले बाबा को क्लीन चिट मिल गई है। उसका नाम FIR में भी नहीं था।
जिन अफसरों को सस्पेंड किया गया, उनमें SDM रविंद्र कुमार, CO आनंद कुमार के अलावा इंस्पेक्टर आशीष कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार और चौकी इंचार्ज कचौरा मनवीर सिंह और पारा चौकी इंचार्ज बृजेश पांडे शामिल हैं।