धरती के “भगवान” कहे जाने वाले ये डाक्टर कोरोना मरीजों को चिंतामुक्त रहने की सलाह देते-देते खुद किन परेशानियों से गुजर रहे हैं, इसके बारे में भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कालेज (जीएमसी) के एक अध्ययन का निष्कर्ष चौंकाने वाला है। अध्ययन में शामिल डाक्टरों में 60 फीसद चिंता की बीमारी (एंग्जायटी डिसआर्डर) से ग्रस्त पाए गए हैं।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): कोरोना आम लोगों में भले ही संक्रमण की बीमारी हो, लेकिन इसके इलाज में लगे डाक्टरों को यह मनोरोगी बना रहा है।
मनोचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डा. जेपी अग्रवाल और सहायक प्राध्यापक डा. रुचि सोनी ने हाल ही में यह अध्ययन रिपोर्ट विभाग को सौंपी है। जीएमसी के मनोचिकित्सा विभाग के डाक्टरों ने जून में आनलाइन प्रश्नावली भेज कर कोरोना वार्ड में काम करने वाले देशभर के 720 डाक्टरों का सर्वे किया है। इसमें शामिल सभी चिकित्सक एलोपैथी के हैं।
डॉ. ने बताया कि कोरोना की बीमारी को लेकर अनिश्चितता, संक्रमित होने का डर, कोरोना के बारे में शोध व अन्य जानकारी का अभाव, कुछ अस्पतालों में संसाधनों की कमी और परिवार से अलगाव के चलते डाक्टरों में अवसाद, मनोरोग और तनाव समेत कई तरह की दिक्कतें बढ़ी हैं। कई डाक्टर घर नहीं जा पा रहे हैं। परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं। उन्हें इस बात की भी चिंता है कि स्वजन को उनके जरिये कोरोना ना हो जाए। इस संबंध में भोपाल के मनोचिकित्सक डॉ. का कहना है कि यह सही है कि डाक्टर तनाव में हैं।