इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से मंजूरी के बाद देश भर में इस किट से जांच की जा रही है। मध्य प्रदेश में दो से सात अक्टूबर के बीच पांच दिन में रैपिड किट से की गई जांच में सिर्फ 4.11 फीसद लोग ही पॉजिटिव आए हैं। इसी दौरान आरटी-पीसीआर तकनीक से जांच में 8.50 फीसद सैंपल पॉजिटिव मिले हैं।
भोपाल(राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): शशिकांत तिवारी भोपाल प्रदेश सरकार सैंपल की संख्या बढ़ाने के लिए लगभग आधी जांच रैपिड एंटीजन किट से करवा रही है।
प्रदेश में यदि सभी मरीजों की जांच आरटी-पीसीआर तकनीक से की जाती तो इस दर के हिसाब से दो से सात अक्टूबर के बीच 3500 मरीज ज्यादा मिलते। इससे पता चलता है आरटी-पीसीआर की तुलना में रैपिड किट से जांच में संक्रमण दर आधे से भी कम है। पिछले 10 दिन से प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या और संक्रमण दर कम होने की यह भी एक बड़ी वजह है।
दो से सात अक्टूबर तक सैंपल की स्थिति
जांचे गए कुल सैंपल- 1,58, 833
आरटी-पीसीआर तकनीक से जांचे गए सैंपल- 83,919
रैपिड एंटीजन किट से जांचे गए सैंपल- 74,914
औसत संक्रमण दर- 6.43 फीसद
आरटी-पीसीआर जांच में संक्रमण दर- 8.5 फीसद
रैपिड एंटीजन टेस्ट में संक्रमण दर-4.11 फीसद
जांच की तकनीक में यह अंतर
मरीज को लक्षण नहीं होने पर निगेटिव रिपोर्ट को भी पुष्ट मान लिया जाता है। मरीज में कोरोना के लक्षण होने पर भी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो आरटी-पीसीआर जांच कराने की सलाह दी जाती है। रैपिड एंटीजन टेस्ट- नाक से स्वाब लेकर रैपिड किट से जांच की जाती है। 10 मिनट में रिपोर्ट मिल जाती है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज को संक्रमित मान लिया जाता है।
गले या नाक से या दोनों जगह से स्वाब के सैंपल लेकर लैब में पहले वायरस का आरएनए अलग करते हैं। इसके बाद पीसीआर मशीन से जांच की जाती है। जांच में छह घंटे लगते हैं।