आइएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जबलपुर शाखा ने मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र भेजकर कहा है कि जिले की होटलों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसी तरह एमपी नर्सिंग एसोसिएशन और सिंधी समाज ने भी सीएमएचओ को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज कराई है।

जबलपुर(राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अब कोरोना मरीजों की संख्या कम होने का दावा कर रहे हैं। जबकि इसके पीछे की हकीकत कुछ और ही है। कोरोना संक्रमित या संदिग्ध मरीजों का सरकारी व निजी अस्पतालों के अलावा होटलों में भी इलाज हो रहा है। इसकी जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग को खबर तक नहीं है।
ऐसे मरीजों को होटल में रखा जा सकता है, जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं हैं। उनको सिर्फ क्वारंटाइन या आइसोलेशन में रखा जाएगा, लेकिन इलाज अधिकृत चिकित्सक का ही लेना होगा। निजी अस्पताल प्रबंधन को कोरोना संक्रमितों का अपने अस्पताल के अलावा होटल में इलाज करने के लिए कोविड-19 गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य है।
जिला प्रशासन के मैदानी अमले को भी जानकारी है। बावजूद इसके किसी भी होटल में इस बात की जांच अभी तक नहीं की गई कि वहां पर डिग्री धारी डॉक्टर, कोरोना के इलाज के लिए हर तरह के संसाधन, उपकरण आदि मौजूद है या नहीं। आइएमए के सेकेट्री जनरल डॉ. अमरेंद्र पांडेय ने होटलों में सामान्य तकनीशियन की मदद से इलाज करने की जानकारी दी है।
विजय नगर में एक निजी प्रेक्टिसनर डॉक्टर के कहने पर दो होटलों में मरीजों को रखा जा रहा है। शहर के बीच कई होटलों का सहारा भी निजी अस्पताल प्रबंधनों ने लिया है। वहीं नियम कहता है कि यदि कोई अस्पताल या डॉक्टर इस तरह के मरीज होटल में रखना चाहता है बिस्तर संख्या कम होने का हवाला देकर यह काम किया जा रहा है। तो उसे जिला प्रशासन या एसडीएम को लिखित आवेदन देना होगा। उसके बाद होटल में क्वारंटाइन या आइसोलेशन के अलावा इलाज करने से अनुमति दी जा सकती है।