प्रदेश के सबसे बड़े कॉलेजों में शामिल होलकर साइंस और गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में काफी सीटें अभी खाली है। इन पर प्रवेश के लिए प्रबंधन के पास कॉलेज लेवल काउंसिलिंग (सीएलसी) के महज तीन दिन बचे हुए हैं। सीटों पर मेरिट आधार पर विद्यार्थियों को दाखिला दे रहा है। रोजाना कॉलेजों को मेरिट सूची जारी करना पड़ती है।
इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर सरकारी कॉलेजों ने अपने-अपने संसाधनों के हिसाब से सीटें तो बढ़ा ली है, लेकिन अब इन्हें भरने में प्रबंधन को मशक्कत करना पड़ रही है।
15 फीसद सीटें प्राचार्य अपने कॉलेज के संसाधनों के हिसाब से बढ़ा सकते थे। होलकर साइंस कॉलेज में बीएससी-एमएससी कोर्स संचालित होते हैं, जिसमें विभिन्न् सेक्शन की मिलकर 2800 सीटें थीं। प्रबंधन ने तीस फीसद सीटें बढ़ाई। सत्र 2020-21 में संख्या बढ़कर 3900 कर दी। बदले में अब तक आठ हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं, मगर कटऑफ का प्रतिशत अधिक होने से सैकड़ों विद्यार्थी प्रवेश प्रक्रिया से बाहर हो गए। ऑनलाइन काउंसिलिंग का एक चरण पूरा होने के बाद विभाग ने विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए कॉलेजों की सीटें बढ़ा दीं। 15 फीसद सीटें अनिवार्य रूप से बढ़ाई है।
प्रबंधन के मुताबिक 96 से 82 प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश दिया है। फिलहाल 750 सीटें खाली है, जिन्हें भरने के लिए 10 नवंबर तक का समय है। प्राचार्य डॉ. सुरेश सिलावट का कहना है कि सीटों पर दाखिले के लिए प्रक्रिया चल रही है। 300 सीटों के भरने की उम्मीद है। इंदौर के अलावा बाकी जिलों के विद्यार्थी भी दाखिले के लिए कॉलेज पहुंच रहे हैं।
कॉलेज ने सिर्फ 15 फीसद सीटों में बढ़ोत्तरी की थी। संसाधनों के अभाव में प्राचार्य ने 15 फीसद सीटें नहीं बढ़ाई। सत्र 2020-21 में कुल मिलाकर 4500 सीटें रखी है। करीब 9700 आवेदन आए थे। यूजी-पीजी कोर्स में 150, डिप्लोमा योगा में 25, पीजीडीएम में 15, डीएसडल्ब्यू में 60 सीटें खाली है। कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी डीके गुप्ता का कहना है कि कुछ कोर्स में प्रवेश कम हुए है। ये सभी तीन साल पहले शुरू हुए है। विद्यार्थियों में डिमांड कम है। अटलबिहारी वाजपेयी गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज से संचालित कुछ कोर्स की डिमांड कम है। बीए, बीकॉम, एमए, एमकॉम, डिप्लोमा इन योगा, पीजीडीसीए, डीएसडब्ल्यू समेत कई कोर्स संचालित होते हैं।