देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) परीक्षा के परिणाम ने इस बार विद्यार्थियों के सपनों पर पानी फेर दिया। कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ है |
इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): जब मध्यप्रदेश से किसी भी विद्यार्थी का नाम ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में नहीं है।
इस वर्ष शहर के जिस विद्यार्थी को 720 में से 680 अंक प्राप्त हुए है वे टॉप 500 ऑल इंडिया रैंक में शामिल नहीं हो पाए जबकि पिछले सालों में 2018 के परिणाम में 690 अंक लाने वाले विद्यार्थी को ऑल इंडिया रैंक एक प्राप्त हुई थी। 2019 में 701 अंक लाने वाला विद्यार्थी ऑल इंडिया टॉपर था। 670 अंक लाने वाला विद्यार्थी टॉप 100 रैंक में शामिल था। वहीं 2020 के नीट परिणाम में 720 अंक वाला विद्यार्थी ऑल इंडिया टॉपर रहा है। 50वीं रैंक पर 701 अंक वाले को जगह मिली है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि इस बार अंक अच्छे आने के बाद भी विद्यार्थियों की रैंक कम रही है।
आसान प्रश्नों का ज्यादातर विद्यार्थी सही जवाब दे पाए थे। इसमें उन विद्यार्थियों को नुकसान हुआ जिन्होंने पिछले सालों के पेटर्न के आधार पर कठिन प्रश्नों को हल करने में अपना पूरा समय दिया। इसका कारण बताया जा रहा है कि परीक्षा में सामान्य प्रश्न पूछे जाने से प्रतियोगिता बढ़ गई थी और सामान्य तौर पर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को इसका फायदा मिला था।
परीक्षा विशेषज्ञ विजित जैन का कहना है कि शहर से हर साल टॉप 100 में कुछ विद्यार्थी आते रहे हैं। इस बार के परिणाम ने विद्यार्थियों और माता-पिता को मायूस किया है। विद्यार्थियों ने जिस मेहनत के साथ तैयारी की थी वैसी रैंक उन्हें नहीं मिली। इस बार का जनरल में कटऑफ पर्सेंटाइल 50 रहेगा।
इसका मतलब यह है कि 720 से 147 अंक के बीच के विद्यार्थियों को प्रवेश मिल सकेगा। यानी ऑल इंडिया 8 लाख की रैंक के अंदर सभी कॉलेजों में प्रवेश हो जाएंगे। इसके बाद की रैंक वाले विद्यार्थियों को मेडिकल कॉलेज मिलना मुश्किल है। काउंसिलिंग की प्रक्रिया अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से शुरू होगी।