इसके पूर्व निजी स्कूलों और अभिभावकों की ओर से अपने-अपने प्रस्ताव पेश किए गए। उल्लेखनीय है कि प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क वसूली पर रोक लगा दी थी।
जबलपुर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): मप्र हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बैंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है। निजी स्कूलों और अभिभावकों की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव
दो अलग-अलग आदेशों से विरोधाभासी स्थिति बन गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं की मुख्य पीठ जबलपुर में एक साथ सुनवाई शुरू की। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क वसूली पर रोक लगा दी थी। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और अभिभावकों की ओर से अलग-अलग याचिकाएँ दायर कर कहा गया है कि कोरोना काल में स्कूल बंद होने के बाद भी निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली जा रही है। इस मामले में मप्र हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर और इंदौर खंडपीठ ने अलग-अलग आदेश जारी किए थे।
सामान्य स्थिति बहाल होने और स्कूल चालू होने पर शेष फीस किश्तों में ली जाएगी। कुछ याचिकाकर्ताओं ने केवल ट्यूशन फीस लेने तो कुछ ने कोरोना काल के दौरान फीस माफी का प्रस्ताव दिया। कुछ याचिकाकर्ताओं ने अपने प्रस्ताव में कहा कि हाईकोर्ट जो आदेश पारित करेगा, उसका पालन किया जाएगा। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने निर्णय सुरक्षित कर लिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों, अभिभावकों और अन्य पक्षों से ऐसा प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा था, ताकि सभी पक्षों का हित सुरक्षित रहे। निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने प्रस्ताव दिया कि कोरोना काल में केवल ट्यूशन फीस ली जा रही है।