साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसे आरोपित जिनके ऊपर एट्रोसिटीज एक्ट व पॉक्सो के तहत केस दर्ज हैं, उनकी ट्रायल उस विशेष न्यायालय में हस्तांतरित की जाएं, जो पॉक्सो एक्ट की सुनवाई के लिए बनाए गए हैं। हालांकि जिस याचिका में कोर्ट ने यह फैसला दिया है, उस आरोपित की जमानत को वापस नहीं लिया है। एट्रोसिटीज एक्ट में जमानत वापस ली जा सकती है या नहीं, इसको लेकर हाई कोर्ट ने सुनवाई की थी।

ग्वालियर(राष्ट्र आजकल प्रतिनधि): मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की एकलपीठ ने एट्रोसिटीज व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरोपित शर्तों का उल्लंघन करता है तो एट्रोसिटीज (एससीएसटी) एक्ट में जमानत वापस लेने का अधिकार है।
आरोपित ने जमानत की शर्त का उल्लंघन किया है। उसकी जमानत को निरस्त किया जाए। आरोपित की ओर से अधिवक्ता गौरव मिश्रा ने तर्क दिया कि एट्रोसिटीज एक्ट के तहत दर्ज केसों में कोर्ट को जमानत देने का अधिकार है, लेकिन उसे वापस लेने का अधिकार नहीं है। एक नाबालिग की मां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मां की ओर से तर्क दिया गया कि आरोपित को कोर्ट ने जमानत पर रिहा किया है। जमानत पर रिहा करने के लिए तीन शर्तें लगाई थीं। आरोपित को नाबालिग से दूर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन जेल से छूटने के बाद वह नाबालिग को लेकर भाग गया।
आरोपित की जमानत को वापस नहीं लिया, लेकिन अपने अधिकारों को अभ्यास कर व्यवस्था दी है कि जमानत को वापस लिया जा सकता है। यह जमानत क्रिमिनल अपील के तहत दी जाती है। कानून के इस बिंदु को निर्धारित करने के लिए हाई कोर्ट ने वरिष्ठ वकीलों को न्यायमित्र के रूप में नियुक्त किया था। न्यायमित्रों ने कानून को लेकर अपनी-अपनी राय दी थी। हाई कोर्ट ने बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया है।
- आरोपित समानांतर कोई दूसरा अपराध नहीं करेगा।
- पीड़िता से दूर रहेगा। उसको किसी भी तरह से परेशान नहीं करेगा। नाबालिग की मां ने इस शर्त के उल्लंघन का आरोप लगाया था। कोर्ट ने पुलिस की केस डायरी देखकर पाया कि नाबालिग अपनी मर्जी से गई थी। वह मां के पास रहना नहीं चाहती थी। शर्त का उल्लंघन नहीं पाया।
- जिला अस्पताल में मरीजों की जनसेवा करेगा। जिला अस्पताल में आरोपित ने सेवा की। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने उसके काम से खुश होकर कोविड कार्यों में मदद के लिए चालक के रूप में रख लिया था।
- एट्रोसिटीज एक्ट के तहत दर्ज केसों में जमानत याचिका दायर करने के लिए क्रिमिनल अपील दायर की जाती थी, लेकन कोर्ट ने आदेश दिया है कि एमसीआरसी में याचिका दर्ज की जाए।
- क्या कोर्ट किसी पौधे लगाने या जनसेवा का आदेश दे सकता है। कोर्ट ने इस बिंदु को भी स्पष्ट किया है कि सीआरपीसी की धारा 437 (3) के तहत कोर्ट को अतिरिक्त शर्त जोड़ने का अधिकार है। जो उसके सुधार के लिए हो।