अब केंद्र सरकार Loan Moratorium यानी EMI में छूट का फायदा नहीं उठाने वालों को गिफ्ट देने का मन बना रही है। सरकार ऐसे लोगों को कैशबैक देने पर विचार कर रही है। दरअसल, Loan Moratorium की अवधि के लिए ब्याज पर छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सरकार का माना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट ब्याज में छूट का फैसला सुनाता है तो जिन लोगों ने Loan Moratorium का फायदा नहीं उठाया, उनके लिए गिफ्ट का विचार करेगी।

EMI में छूट की व्यवस्था का लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में लोगों को बड़ा सहारा मिला। कर्ज लेने वालों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी रहा, जिसने सुविधा का फायदा नहीं उठाया और ईमानदारी से अपनी EMI भरी।
यह कैशबैक उन्हीं ग्राहकों को मिलेगा, जिन्होंने छह महीने तक बिना रुके किस्त भरी। यही नहीं 2 करोड़ रुपये तक कर्ज वाली उन MSMEs को भी मुआवजा मिल सकता है, जिन्होंने लॉकडाउन के समय में अपनी किस्त वक्त पर जमा की है। बता दें, लोन मोरेटोरियम की अवधि में ब्याज पर ब्याज की छूट का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रखा है।
माना जा रहा है कि इसी फायदे के बराबर की राशि उन लोगों को कैशबैक के रूप में दी जा सकती है, जिन्होंने समय पर किस्त जमा की है। वहीं समय पर भुगतान करने वालों को राहत देने का एक तरीका ये है कि सरकार उनके मूल बकाये में से ‘ब्याज पर ब्याज’ का एक हिस्सा कम कर दे। बता दें, केंद्र सरकार ने इस ब्याज माफी के प्रभाव का आकलन करने के लिए पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव मेहरिशी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। वित्त मंत्रालय की बनाई कमेटी इस बात का आंकलन कर रही है कि लोन मोरेटोरियम का लाभ उठाने वाले लोगों को कितना फायदा हुआ।
तब आरबीआई ने बैंकों को कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लोगों को राहत देने के लिए 1 मार्च से शुरू होने वाले मूलधन और ब्याज भुगतान पर तीन महीने की मोहलत देने की अनुमति दी थी। बाद में इसे तीन महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था। इसी साल मार्च से शुरू हुई लोन मोरेटोरियम की सुविधा 31 अगस्त तक थी। इस तरह कुल 6 महीने लोगों को ईएमआई से राहत मिली। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 28 सितंबर कर दिया था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल मार्च में Loan Moratorium का ऐलान किया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्जदारों को दी गई ईएमआई टालने की सुविधा (मोरेटोरियम) अब लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। इस सुविधा का फायदा लेने वाले लोगों का क्रेडिट स्कोर कम होता जा रहा है और बैंक भी इसके कारण इनका लोन स्वीकृत नहीं कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर जल्द ही व्यापारिक संगठन कैट आरबीआइ से मुलाकात भी करेगा और अपनी मांगे भी रखेगा।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि ईएमआइ टालने की सुविधा सरकार ने दी है और पहले ही आरबीआइ ने तय कर दिया है कि इससे लोगों के क्रेडिट स्कोर पर किसी भी प्रकार से फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बावजूद लोगों के क्रेडिट स्कोर का कम होने बताकर लोगों को टरकाना गलत बात है।
गौरतलब है कि 31 मार्च से ही सरकार ने ईएमआइ टालने की सुविधा कर्जदारों को दी थी। हालांकि, ईएमआइ टालने के बाद भी बैंकों द्वारा इस अवधि में लिए जाने वाले ब्याज पर कोई फैसला नहीं हुआ है और बैंकों द्वारा ब्याज लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरबीआइ को इस संबंध में पत्र लिखा जा रहा है कि बैंकों को निर्देश दिया जाए, कि वह ऐसा न करें। इससे व्यापारियों के साथ ही आम लोगों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
एसबीआई में पर्सनल लोन के सिलसिले में गए शेखर तिवारी ने बताया कि बैंक से पता करने पर पता चला कि उनका क्रेडिट स्कोर 50 प्वाइंट घट गया है। इसकी वजह से उनका लोन स्वीकृत नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बैंक द्वारा दी गई ईएमआइ टालने की सुविधा का फायदा लिया था।
छत्तीसगढ़ बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के महामंत्री शिरीष नलगुंडवार ने बताया कि क्रेडिट स्कोर उन्हीं लोगों का कम हो रहा है, जिन्होंने बैंक को ईएमआइ टालने की सुविधा का लाभ लेने के लिए आवेदन नहीं किया। मगर, वे किसी कारण से ईएमआई नहीं चुका पाए और उनका लोन डिफाल्ट हो गया। ऐसी स्थिति में बैंक भी कुछ नहीं कर सकते। बताया जा रहा है कि ईएमआइ टालने की सुविधा 28 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, अभी तक बैंकों के पास इसका कोई आदेश नहीं आया है।