राष्ट्र आजकल / मुकेश यादव / तलेन / कड़वा है पर यह सत्य है की जो राजनीतिक से जुड़े हुए नेताओं का जन्मदिन जिस प्रकार धूमधाम से मना रहे हैं वह सब सिर्फ दिखावटी वा स्वार्थ के लिए मना रहे हैं क्योंकि जन्म दिन तो प्रतिवर्ष प्रत्येक व्यक्ति का आता है। मनाना भी चाहिए परंतु कुछ समय से देखने में आ रहा है कि दोनों ही पार्टियों के नेताओं का जब भी जन्मदिन आता है।
तो उसको कार्यकर्ता बढ़-चढ़कर मनाने का प्रयास करते हैं। उस जन्मदिन मनाने में स्वार्थ साफ झलकता दिखाई देता है। यह जन्मदिन की प्रथा कुछ समय से चल रही है। जैसे-जैसे चुनाव बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे जन्मदिन का उत्सव जोर-शोर से मनाया जा रहा है।मैं किसी एक पार्टी या व्यक्ति की बात नहीं कर रहा हूं। दोनों ही पार्टियों के नेताओं का कार्यकर्ताओं का जन्मदिन मनाने वालों का स्वार्थ साफ दिखाई देता है। जो उत्सव जन्मोत्सव के समय अपने नेताओं के प्रति रहना चाहिए वह सिर्फ चुनाव के समय तक ही रहेगा। चुनाव में अगर टिकट नहीं मिला तो जो आज जन्म उत्सव में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। वही कोसना शुरू कर देंगे ऐसा हम नहीं कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर हमें बताया था कि हमें काम है चुनाव में यह हमारी मदद करेंगे टिकट देंगे इसलिए हमें रहना पड़ता है नगर के कुछ वरिष्ठ बुद्धिजीवियों का यह भी कहना है कि अपने पिता वा वा परिवार का जन्म उत्सव इतनी धूमधाम से नहीं मनाते जितना अपने स्वार्थ के लिए नेताओं का जन्म उत्सव मनाते हैं हम किसी एक पार्टी की बात नहीं कर रहे हैं हम दोनों ही पार्टियों की बात कर रहे हैं जो भी कार्यकर्ता नेताओं का जन्म उत्सव में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं वहां सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए खास बात तो यह है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं का अगर स्वार्थ सिद्ध नहीं हुआ चुनाव के समय टिकट नहीं मिला तो जिन पार्टियों के वफादार बनते हैं।उसमें खो-खो का खेल दिखाने में पीछे नहीं रहते हैं।ऐसा पहले भी हुआ है। सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा होना चाहिए हम यह लेख किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं लिख रहे हैं। परंतु जो सत्य है।उसको आईना की तरह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।