आपको बता दें कि अब अदालतों में कामकाज सप्ताहभर बाद ही शुरू होगा। इसके चलते वकीलों में निराशा व्याप्त है। वे कई बार अवकाश की संख्या कम करने की गुहार लगा चुके हैं।

इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): कोरोना लोकडाउन के चलते सात महीने से बुझी-बुझी सी चल रही अदालतें एक बार फिर गुलजार होने से पहले ही सूनी हो गई। कोर्टों में फिलहाल सिर्फ अर्जेंट मामलों में ही सुनवाई हो रही है।
कोरोना संक्रमण के चलते 22 मार्च से अदालतों में नियमित कामकाज बंद है। सिर्फ अर्जेंट मामलों मामलों में ही सुनवाई हो रही है। नियमित कामकाज नहीं होने से वकीलों के सामने आर्थिक संकट गहरा रहा है। इंदौर अभिभाषक संघ के साढ़े छह हजार सदस्य हैं। इनमें से करीब एक हजार आसपास के छोटे शहर और कस्बों से यहां आकर यहा प्रेक्टिस करते हैं।
नियमित कामकाज नहीं होने से इनमें से ज्यादातर वकील अपने मूल स्थान को लौट चुके हैं। इधर जो यहां डटे हैं उनके पास भी कामकाज नहीं है। वकीलों को उम्मीद थी कि जैसे-जैसे शहर अनलॉक होगा, वैसे-वैसे अदालतें भी खुलने लगेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वकीलों ने शासन से आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई थी लेकिन वह भी पूरी नहीं हो सकी।
आर्थिक मदद सिर्फ 249 तक ही पहुंची। आश्वासन दिया गया था कि जल्दी ही दूसरी लिस्ट जारी होगी और आवेदन करने वाले सभी वकीलों को मदद पहुंचा दी जाएगी लेकिन न सूची जारी हुई न मदद पहुंची। महीनों बाद भी वकील दूसरी लिस्ट जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। राज्य अधिवक्ता परिषद के जरिये शासन ने वकीलों को पांच-पांच हजार रुपये आर्थिक मदद जारी की थी, लेकिन यह भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। इंदौर में साढ़े छह हजार वकील हैं।
नियमित कामकाज नहीं होने से अदालतों में लंबित प्रकरणों की संख्या भी बढ़ रही है।-कपिल बिरथरे, सचिव, इंदौर अभिभाषक संघ अदालतों में नियमित कामकाज नहीं होने से वकील परेशान हो रहे हैं। संघ इस संबंध में कई बार गुहार लगा चुका है लेकिन अंतिम फैसला जबलपुर से होना है। वकील कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने को तैयार हैं।