औद्योगिक उपयोग की इस जमीन के 9.584 हेक्टेयर हिस्से पर दो साल पहले फ्लैटेड कारखाने के रूप में औद्योगिक इमारत बनाने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन यहां गारमेंट पार्क विकसित कर भूखंड बेचे जा रहे हैं।

इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में इस जमीन पर करीब 126 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का खेल सामने आया है। भागीरथपुरा में मालवा वनस्पति एंड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की जमीन का घोटालों और विवादों से पुराना नाता है।
दल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट से पता चला है कि प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ताओं ने अतिरिक्त लाभ कमाने के लिए औद्योगिक इमारत नहीं बनाकर भूखंड बेचना शुरू किया है। जांच में यह भी सामने आया है कि प्रोजेक्ट के लिए रेरा का पंजीयन भी नहीं कराया गया है। शिकायत मिलने पर कलेक्टर मनीष सिंह ने मामले की जांच के लिए दल बनाया था। इसमें अपर कलेक्टर अजयदेव शर्मा, नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल और नगर निगम के मुख्य नगर निवेशक विष्णु खरे शामिल थे।
कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार, इसका बिक्री मूल्य 228 करोड़ रुपये है। दूसरी तरफ भूखंडीय विकास का मंजूरी योग्य कुल एफएआर 53197 वर्ग मीटर है। गाइडलाइन के अनुसार, इसकी कीमत 102 करोड़ रुपये है। इस तरह जांच में आया है कि प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ताओं ने अतिरिक्त लाभ कमाने के लिए औद्योगिक इमारत नहीं बनाकर भूखंड बेचना शुरू किया है। दरअसल, मालवा वनस्पति की जमीन पर इसके संचालक पांडुरंग को अलग-अलग सर्वे नंबर की 9.584 हेक्टेयर जमीन पर फ्लैटेड फैक्ट्री के उपयोग की मंजूरी दी गई।
इसमें शहर के कुछ बड़े बिल्डर भी शामिल बताए जाते हैं। योजना के अनुसार यहां औद्योगिक इमारत में अलग-अलग प्रकोष्ठ बनाए जाने थे, पर योजना के कर्ताधर्ताओं ने औद्योगिक इमारत नहीं बनाकर भूखंड बेचना शुरू कर दिया। इसमें इमारत में सार्वजनिक उपयोग, पाथ-वे और पार्किंग की जमीन भी बेचने लगे। फ्लैटेड फैक्ट्री का कुल स्वीकृत एफएआर 94995 वर्ग मीटर है।
प्रशासन को पता चला तो इसकी खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी गई। बाद में यह मामला अलग-अलग अदालतों में पहुंचा, जहां भूमि पर काबिज लोगों के हक में फैसला आया। होलकर रियासतकाल में यह जमीन मालवा वनस्पति के संचालकों को कारखाना लगाने के लिए मिली थी। कई साल तक कारखाना चलने के बाद भूमाफिया की मदद से इसे बेचना शुरू कर दिया गया।