कानून के विशेषज्ञों के अनुसार शव की दुर्गति होने की स्थिति में स्वजन को अधिकार है कि वे अपकृत्य विधि के तहत कार्रवाई कर संबंधित के खिलाफ क्षतिपूर्ति के लिए वाद दायर कर सकते हैं।

इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): क़ानून के मुताबिक शव का भी अधिकार होता है… उसकी भी मानहानि होती है। अपमान करने पर कानूनी धाराओं के अधीन कार्रवाई भी हो सकती है। इतना ही नहीं परिवार वाले क्षतिपूर्ति भी मांग सकते हैं। दुनिया के हर धर्म और परंपरा में शव को सम्मान दिए जाने की बात है। कानून भी इससे अलग राय नहीं रखता।
कानून के जानकार कहते हैं कि क्षतिपूर्ति कितनी होगी यह अदालतों के विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन इसकी कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है। पुलिस भी स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती है। इंदौर में कोरोना काल में एक पखवाड़े में शव के साथ लापरवाही के चार मामले सामने आए हैं। यही नहीं देश के अलग अलग हिस्सों में भी शव के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं।
आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत मिले जीने के अधिकार को लेकर भी कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ जिंदा व्यक्ति का ही नहीं मृतक का भी सम्मान होता है। उसके स्वजन दोषी के खिलाफ न्यायालय में केस दाखिल कर सकते हैं।
शव के साथ दुर्व्यवहार करना भादंवि के तहत दंडनीय अपराध है क्योंकि ऐसा करके साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की जाती है। अपराध सिद्ध होने पर तीन से सात साल तक की सजा का भी प्रावधान है।
बीते कुछ दिनों से इंदौर में शवों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं मानवता को शर्मशार कर रही हैं. कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव के साथ उचित व्यवहार करने के लिए भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाइडलाइन निर्धारित की है। हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोरोना मरीजों के शवों का सम्मानपूर्वक निपटान करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए हैं।