अफसरों ने सिंगापुर जैसे शहरों के मॉडल भी समझे और अब जब प्रस्ताव मंजूर किया है तो उसमें ये कोई मॉडल नजर नहीं आ रहा।

इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाने के लिए सरकार ने दो साल में हैदराबाद, बेंगलुरु, फरीदाबाद, अमरावती, जयपुर, गुड़गांव, विजयवाड़ा जैसे शहरों की स्टडी करवाई।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में आईडीए को नोडल एजेंसी बनाकर तत्कालीन सरकार ने इंदौर के आसपास के पूरे क्षेत्र सहित उज्जैन को भी इसमें जोड़ते हुए 2000 वर्गकिमी तक मेट्रोपॉलिटन सिटी का विस्तार प्रस्तावित किया था। सरकार ने पूरा ध्यान मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को पूरा करने पर दिया है।
विशेषज्ञ अजीत सिंह नारंग और महेश राजवैद्य के मुताबिक, इससे उज्जैन रोड, धार रोड, नेमावर रोड और देवास रोड की ओर शहर का अनियोजित विकास होगा। शहर के सामने आगे चलकर वैसी ही दिक्कतें आएंगी, जैसी 29 गांवों के विकास में आ रही है। शहरों की स्टडी में हैदराबाद का मॉडल बेहतर लगा और उसी मॉडल पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन कैबिनेट के मौजूदा प्रस्ताव में शहर को महू-पीथमपुर तक बढ़ाते हुए 1200 वर्गकिमी में विस्तार प्रस्तावित कर दिया है।
मेट्रोपॉलिटन में और क्षेत्र जोड़ने की जरूरत सांसद शंकर लालवानी के मुताबिक, मेट्रोपॉलिटन एरिया में आसपास के उन छोटे शहरों, कस्बों व गांवों को शामिल करना होगा, जिनका असर शहर पर पड़ता है। सरकार को इस मामले में सुझाव देंगे कि एरिया में कुछ और क्षेत्र शामिल किए जाएं। 1918 में इंदौर देश का पहला शहर बना, जिसका मास्टर प्लान तैयार हुआ। सर सिरेमल बापना ने तब इसे तैयार किया।
क्लास-1 स्टेट्स 1921 में मिला, तब शहर की आबादी लगभग 1 लाख थी। मास्टर प्लान 1991 में मेट्रोपॉलिटन का अनाधिकृत दर्जा मिला, पर इसके आगे बात नहीं बढ़ी। 1947 के बाद 500 % ग्रोथ, इसमें 300 फीसदी तो बीते 30 साल में ही अर्जित की। शहरीकरण की रफ्तार में 37वें पायदान से पहुंचा 22वें पर। अब आबादी 30 लाख के लगभग। जिले का शहरी हिस्सा करीब 71.6 फीसदी।