शहर में जहां 280 किलोमीटर की डामर की सड़कों पर गड्ढे हो गए हैं, वहीं अफसरों के बंगले के बाहर की सड़कें सालों से सही सलामत हैं। संभागायुक्त, कलेक्टर व निगमायुक्त बंगले के बाहर की सड़कें बारिश में भी ठीक हैं।
इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): साहबों के बंगले के सामने की सड़कों की हालत देखकर तो यही लगता है। सड़कों पर गड्ढे भी शायद आम लोगों के लिए ही होते हैं।
प्लांट से आने वाला डामर 125 डिग्री तापमान पर निकलना चाहिए और 110 डिग्री तापमान तक रोलिंग (सड़क पर बिछाना) हो जाना चाहिए। जबकि हमारे ठेकेदार 90 डिग्री का डामर लेकर आते हैं और बिछाते-बिछाते 25 डिग्री तक ठंडा हो जाता है। यही कारण है कि सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं। सीनियर आर्किटेक्ट अतुल सेठ के मुताबिक डामर की सड़कों में तापमान को लेकर भी गड़बड़ी की जाती है। आरएनटी मार्ग, एमजी रोड और यशवंत निवास रोड तय तापमान के हिसाब से बनाए गए थे, तभी यह सड़कें लंबे समय तक खराब नहीं होतीं।
कलेक्टर के बंगले के सामने की सड़क का ढलान ऐसा है कि वहां पानी ठहरता ही नहीं। निगमायुक्त के बंगले के सामने भी ढलान होने के कारण पैवर्स लगे होने के बावजूद पानी रुकता नहीं। स्टॉर्म वाटर लाइन के मापदंड का पूरा पालन महापौर सचिवालय के सामने सड़क पर स्टॉर्म वाटर लाइन के मापदंडों का पालन किया है। लगातार सफाई भी होती है। इस कारण जल जमाव नहीं हुआ।
राजबाड़ा से गुरुद्वारा इमली साहेब तक 300 मीटर की सड़क कुछ साल पहले तक ठीक थी। मध्यभारत की पहली पत्थर की सड़क इंदौर में यशवंत राव होलकर ने 70 साल पहले बनवाई थी। निर्माण कार्यों के दौरान खुदाई के कारण कुछ जगह नुकसान हुआ। फिलहाल इस पर डामर की परत चढ़ा दी गई है।