आहत अधिकारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने यह कहते हुए जांच पर रोक लगा दी कि इतने दिनों तक आखिर विभाग क्या कर रहा था।
इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): इतने पुराने मामले में विभाग ने उस वक्त तो कुछ नहीं किया लेकिन सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी ताकि पेंशन और अन्य लाभ न देने पड़े। वाणिज्यिक कर विभाग से उपायुक्त के रूप में सेवानिवृत्त हुए राजकुमार तिवारी पर नौ साल पहले गड़बड़ी का आरोप लगा था।
आरोप था कि उन्होंने 11 मई 1999 से 29 जुलाई 2006 के बीच अनियमितताएं की हैं। राजकुमार तिवारी 30 जून 2020 को उपायुक्त के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। एडवोकेट के अनुसार तिवारी के खिलाफ 21 अक्टूबर 2011 को एक शिकायत हुई थी।
29 जून 2020 को सेवानिवृत्ति के ठीक एक दिन पहले विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी। तिवारी ने 29 फरवरी 2012 को विभाग में एक आवेदन देकर शिकायत और संबंधित दस्तावेज की प्रति मांगी थी ताकि वे शिकायत का जवाब दे सकें, लेकिन उन्हें कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाया गया।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले शुरू हुई विभागीय जांच पर रोक लगाते हुए विभाग से जवाब मांगा है। इस वजह से तिवारी को न तो पेंशन मिलना शुरू हुई न अन्य लाभ मिले। इस पर उन्होंने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाई कोर्ट में शासन के खिलाफ याचिका दायर कर दी।