राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि I सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। ईशा फाउंडेशन के फाउंडर सद्गुरु जग्गी वासुदेव हैं।
फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। आरोप था कि आश्रम में उनकी बेटियों लता और गीता को बंधक बनाकर रखा गया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करे। अगले दिन 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच करने पहुंचे थे।
सद्गुरु ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।
उन्होंने कहा कि दोनों लड़कियां 2009 में आश्रम में आई थीं। उस वक्त उनकी उम्र 24 और 27 साल थी। वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं। उन्होंने बताया कि कल रात से आश्रम में मौजूद पुलिस अब चली गई है।
फैसले से पहले CJI चंद्रचूड़ ने दो महिला संन्यासियों से अपने चेंबर में चर्चा भी की। महिला ने कहा कि दोनों ही बहनें अपनी मर्जी से ईशा योग फाउंडेशन में हैं। उनके पिता पिछले 8 सालों से परेशान कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता का आरोप- बेटियों को बंधक बनाया, ब्रेनवॉश किया तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उन्होंने कहा था कि आश्रम ने उनकी बेटियों को बंधक बना लिया है। उन्हें तुरंत मुक्त कराया जाए।
कामराज ने कहा है कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं।