इन आँकड़ों से संक्रमण दर 7.46 प्रतिशत होती है, जिसमें वो मरीज शामिल ही नहीं हैं, जिन्होंने अपने टेस्ट नहीं कराए और ठीक हो गए या मौत के मुँह में समा गए। जानकारों मानना है कि इस विकट स्थिति से केवल आत्मसंयम ही बचा सकता है।

कोविड टेस्ट के परिणाम बताने वाले आँकड़े भयावह हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल की वायरोलॉजी लैब में पिछले 5 दिनों में करीब 30 प्रतिशत सैम्पल पॉजिटिव आए हैं। इसमें 10 सितम्बर को तो 46 प्रतिशत सैम्पल पॉजिटिव थे। जबलपुर में 20 मार्च को पहला पॉजिटिव मिलने के बाद से अब तक 91,672 सैम्पल लिए गए हैं, जिसमें 6,847 लोग पॉजिटिव पाए गए।
घर-घर में सर्दी, खाँसी और बुखार के मरीज हैं। बहुत से मरीज जागरूकता और संसाधनों के अभाव में टेस्ट कराने ही नहीं जाते हैं। मेडिकल कॉलेज की वायरोलाॅजी लैब के आँकड़े तो बेहद चौंकाने वाले हैं। यहाँ 9 सितम्बर से 13 सितम्बर के बीच कुल 1327 सैम्पलों की जाँच की गई, जिसमें से 396 लोग पॉजिटिव निकल आए। ये संख्या भयावह है और भविष्य के खतरे का संकेत दे रही है। प्रशासन ने जैसे ही जाँच बढ़ाई है, प्रतिदिन के मरीजों की संख्या 2 सौ पार कर गई है। अगर आने वाले समय में लोगों ने आत्मसंयम का रास्ता नहीं अपनाया तो यह कोरोना विस्फोट कहर ढा देगा। फीवर क्लीनिक में ही लक्षण के आधार पर कोविड सैम्पल लिए जाने की व्यवस्था बनाए जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का अमला वीआईपी सैम्पलिंग से परेशान है।
चिकित्सक और शासन-प्रशासन लगातार आत्मसंयम की पैरवी करते हुए बेवजह घर से न निकलने का अनुरोध कर रहे हैं, पर इसके बावजूद बाजारों की भीड़ कम नहीं हो रही थी। अब तो व्यापारी संगठन ही बाजार बंद कराने आगे आ रहे हैं। दुकानों को कम समय खोलकर सहयोग कर रहे हैं। जबलपुर में संक्रमण उससे भी ज्यादा है, जो आँकड़ों में दिख रहा है। आँकड़े तो लैब में पहुँचने वाले सैम्पलों पर निर्भर है, लेकिन बहुत से मरीज वहाँ तक नहीं पहुँच पाते। आश्चर्य की बात तो ये है कि संभ्रांत और पढ़े-लिखे कहे जाने वाले लोग भी टेस्ट कराने में पीछे हैं पर भीड़ में जाने और पार्टियाँ करने में आगे।