गुरुवार की सुबह 8 बजे वन विभाग कंट्रोल रूम को यह सूचना मिली। इसके बाद वन विभाग का रेस्क्यू अमला मौके पर पहुंचा और करीब 5 फीट लंबे मगर को पकड़ लिया। तभी वन अमले को दूसरी सूचना मिली कि डुमना रोड स्थित इंद्रा बस्ती में भी मगर निकला है।

जबलपुर:(राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): रांझी के पास स्थित मोहनियां में एक गड्ढे के बाहर एक मगरमच्छ बैठा है। इस जगह से गुजरते लोगों पर यह जलजीव कभी हमला कर सकता है।
इसपर 10.30 बजे रेस्क्यू अमला मौके पर पहुंचा और मगरमच्छ पकड़ने के प्रयास शुरू कर दिए। करीब एक घंटे लगातार प्रयास करके वन अमले ने इस जलजीव को पकड़ लिया। दोपहर 12.15 बजे वन अमले ने इस मगरमच्छ को परियट जलाशय के प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया। वन विभाग कंट्रोल रूम से बताया गया है कि रांझी मोहनियां में खेती की जमीन पर अब ईंट-भट्टे लगाए जा रहे हैं। इसके लिए जमीन की खुदाई करके मिट्टी निकाली गई, जिससे यहां जगह-जगह गहरे गड्ढे मौजूद हैं। इन गड्ढों में पानी भरा है, जिनमें बारिश के दौरान नदी से निकले जलचरों ने ठिकाना बना लिया है। इसलिए सुबह ईंट-भट्टा लगाने खोदे गए गड्ढे का मगर बाहर निकला और सूखी जमीन पर बैठ गया। मोहनियां निवासी वीरेंद्र पटेल के खेत में बैठे इस जलजीव को देखकर लोग डर गए और उन्होंने वन विभाग को खबर दी।
इंद्रा बस्ती से पकड़े गए मगरमच्छ की लंबाई करीब सवा दो फीट है। वन अमले ने यह मगर पकड़ने की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इस मगर को डुमना नेचर पार्क के पास स्थित खंदारी जलाशय के प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया। इसी दौरान वन अमले को इंद्रा बस्ती महगवां में मगरमच्छ निकलने की खबर मिली। तब वन अमला मौके से इंद्रा बस्ती का मगरमच्छ पकड़ने रवाना हो गया। दोपहर 1.30 बजे के लगभग वन विभाग का रेस्क्यू अमला मौके पर पहुंचा। वन अमले ने इस आवासी बस्ती के एक गड्ढे में भरे पानी के बीच मौजूद मगरमच्छ को पकड़ने जाल डाल दिया। करीब आधा घंटे लगातार प्रयास करने के बाद वन अमला यह मगर पकड़ने में भी सफल हो गया।
गहरे गड्ढों में नहीं उतरें: वन विभाग ने अपील की है कि परियट नदी और खंदारी जलाशय के आस-पास स्थित जमीन पर मौजूद गहरे गड्ढों में पानी भरा है। इन गड्ढों में जलचरों का डेरा भी हो सकता है। इसलिए आम नागरिक जंगल या नदी के आस-पास बने गहरे गड्ढों में उतरकर जान जोखिम में नहीं डालें।
ईंट-भट्टा लगाने खोदे गए गहरे गड्ढों में पानी भरा है, जिनमें बारिश के दौरान नदी-नालों से होकर जलचर पहुंच गए हैं। वन विभाग इन जलचरों को रेस्क्यू करके प्राकृतिक आवास में छोड़ने का काम कर रहा है। नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए।