सर्वे के अनुसार फ्लाईओवर की जद में कुल करीब 300 निर्माण आ रहे जिनमें से कुछ तो अतिक्रमण हैं जिन्हें हटाने में कोई परेशानी नहीं होगी

दमोहनाका से मदन महल तक बनने वाले 749 करोड़ रुपयों के फ्लाई ओवर के पिलर का काम तो तेजी से चालू है, लेकिन बात जब सड़क की पूरी चौड़ाई पर होने वाले निर्माण की आएगी तब पेंच फँस सकता है।
नगर निगम ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि फ्लाई ओवर का टेंडर हो गया, काम शुरू हो गया, लेकिन भूमि अधिग्रहण पर कोई चर्चा ही नहीं की गई। रानीताल चौक पर ही कई दुकानें तोड़ी जाएँगी, दमोहनाका के पास भी ऐसी ही स्थिति होगी और मदन महल में तो कई निर्माण इसकी जद में आ रहे हैं। लेकिन वाजिब हक वाले जमीन मालिकों को मुआवजा कैसे मिलेगा? जानकारों का कहना है कि ये मुआवजा राशि 200 करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकती है। इसमें जमीन की राशि और जो निर्माण तोड़ा जाएगा उसका भी मूल्य देना पड़ेगा।
कुल 5.6 किलोमीटर की लम्बाई में बन रहे फ्लाई ओवर में 186 पिलर होंगे और यह काम 36 माह में किया जाना तय हुआ है। पिलर का काम चल भी रहा है।
लोक निर्माण विभाग यह सोचकर बैठा है कि बची हुई राशि जमीन अधिग्रहण के काम आएगी, लेकिन यह राशि इस मद में खर्च नहीं की जा सकेगी। ऐसे में हर हाल में राज्य शासन को ही इंतजाम करना होगा और 200 करोड़ रुपए, बल्कि इससे अधिक की राशि जुटानी टेढ़ी खीर है। जानकारों का कहना है कि केन्द्र सरकार अपनी किसी भी योजना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए राशि नहीं देती है, बल्कि इसके लिए राज्य सरकार को ही जेब ढीली करनी पड़ती है। केन्द्र सरकार ने फ्लाई ओवर के लिए कुल 859 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे, लेकिन टेंडर हुआ 749 करोड़ का।
नगर निगम ने भले ही लीजधारियों को नोटिस जारी किए हों और उनके निर्माण तोड़ने में परेशानी भी नहीं होगी, क्योकि लीज में प्रावधान होता है कि जरूरत पड़ने पर भूमि ले ली जाएगी, जो अतिक्रमण होंगे वे भी बिना शोर किए टूट जाएँगे, लेकिन असली समस्या मूल भूमि स्वामियों के मामले में आएगी, बताया जाता है कि जिनके भी निर्माण इस कार्य के लिए तोड़े जाएँगे उन्हें कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से जमीन की कीमत की दोगुनी राशि देनी होगी और जो निर्माण तोड़ा जाएगा उसका हर्जाना भी देना होगा।