राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | इस रक्षा बंधन कुछ जगह 11 तो कहीं 12 तारीख को मनेगा। इस पर्व पर रक्षा सूत्र हर उस इंसान को बांधा जा सकता है, जो हमें मुश्किलों से बचा सके। साथ ही इस सूत्र को बांधने के पीछे भावना है कि जिस व्यक्ति को ये सूत्र बांधा जा रहा है, उसकी सभी विपत्तियों से रक्षा हो। उसके जीवन में सौभाग्य बना रहे और हर तरह की परेशानियां उससे दूर रहें। इस पर्व पर जरुरतमंद लोगों को दान देने की भी परंपरा है। ऐसा करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है। तीर्थ स्नान की परंपरा
रक्षा बंधन यानी श्रावण मास की पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान करने की परंपरा है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में नहाना चाहिए। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों के जल को पानी में मिलाकर नहाना चाहिए। इससे तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है। इस मौके पर भगवान के सामने धूप-दीप जलाएं और उनकी विधिवत पूजा करें, मंत्रों का जाप करें। पूर्णिमा तिथि से संबंधित पूजन कर्म भी करें। जरूरतमंद लोगों को दान करने का संकल्प लें। इसके बाद भोजन, कपड़े, नमक, गुड़ या अन्य जरूरी चीजों का दान कर सकते हैं। इस बार रक्षा बंधन यानी सावन की पूर्णिमा 11 अगस्त की सुबह करीब 11 बजे से शुरू होकर अगले दिन 12 अगस्त की सुबह 7.16 बजे तक रहेगी। फिर भाद्रपद महीने की प्रतिपदा शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि अगले दिन सूर्योदय के बाद होने से ये पर्व कई जगह 11 तो कहीं 12 को मनेगा। इसके अलावा अपने क्षेत्र के विद्वानों और पंचांगों के मतों के मुताबिक ये पर्व मना सकते हैं।