राष्ट्र आजकल/पुण्य प्रताप सिंह/पन्ना
14 दिन बीत चुके किसानों को धरना धरे हुए लेकिन आंदोलन में दिनोंदिन किसानों की संख्या बढ़ती ही जा रही है देखने के बाद ऐसा लगता है की किसान एकता के सूत्रधार बनके एक पुष्प माला की तरह पिरोए गए हैं किसानों की लंबी-लंबी कतारें एकता का एक प्रतीक है जेके सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ धरना पर बैठे बोदा सहित 16 गांव के किसान आज एकजुटता मैं कंपनी से एवं प्रशासन से गांधीवादी लड़ाई लड़ रहे हैं किसानों क कहना है कि हमको कानून की कोई भी अभेलना नहीं करनी है बकायदा कोविड-19 का परिपालन करना है सभी किसानों के चेहरे पर मास्क देखने को मिले किसान कह रहे हैं कंपनी से हमारी कोई जन्म जाती लड़ाई नहीं है ना ही हम कंपनी का विरोध करते हैं कंपनी लगे हमारे यहां विकास हो लेकिन साथ साथ हम किसानों को भी हमारी पुश्तैनी जमीन का उचित मुआवजा मिले जिससे हमारे आने वाली पीढ़ी एवं हमारी दाल रोटी चल सके जीने का एक सहारा मिल जाए इस प्रकार किसानों को धरने पर बैठे बैठे 14 दिन बीत गए लेकिन कंपनी प्रबंधक एवं प्रशासन से लेकर कोई भी किसानों की समस्या को लेकर अभी तक गंभीर नहीं जिससे यह पता चलता है यह किसान आंदोलन एक बड़ा रूप ले सकता है