भोपाल राष्ट्र आजकल | मध्य प्रदेश की राजनीति अब क्यूंकी कमलनाथ के इर्द-गिर्द केंद्रित हो गई है। और पार्टी ने भी उप चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को फ्री हैंड दे कर रखा है। 2017 में गोवा के प्रभारी रहते दिग्विजय जब कांग्रेस की सरकार बनवाने से चूक गये तो साइड कर दिये गए । कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य का आंकलन करते हुए दिग्विजय सिंह दोबारा दिल्ली की राजनीति में एक्टिव हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी के पक्ष में लगातार दो बयान दिए और उसके बाद कांग्रेस की महत्वपूर्ण कमेटी के सदस्य बना दिये गए।
तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुए सत्ता संघर्ष में 15 महीने में ही कांग्रेस सरकार सड़कों पर आ गई। सत्ता से बेदखल होने का ठीकरा कमलनाथ और दिग्विजय समर्थक एक-दूसरे के सिर पर फोड़ते रहे। बड़े भाई और छोटे भाई समर्थकों के बीच चल रहे शह और मात के खेल में संगठन मृतप्रायहो गया। संगठन की दयनीय हालत और प्रदेश में उप चुनाव में संभावित चुनाव परिणाम का आंकलन कर दिग्विजय सिंह ने दिल्ली की पिच पर नए सिरे से राजनीतिक पारी खेलने का फैसला लिया।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को राहुल गांधी पसंद नहीं करते हैं। दरअसल, अब तक राहुल गांधी के नजदीकी ज्योतिरादित्य सिंधिया रहे। सिंधिया के बीजेपी में जाने से राहुल गांधी को ऐसे नेता की जरूरत महसूस होने लगी जो मध्य प्रदेश की राजनीति को समझता हो। वैसे दिग्विजय सिंह कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के पसंदीदा नेता माने जाते हैं। मौके की नजाकत को भांपते हुए राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह ने पिछले दिनों राहुल गांधी के पक्ष में लगातार दो बयान दिए। इन बयानों के बाद से ही क्या संकेत मिलने लगे थे कि दिग्विजय सिंह दिल्ली की राजनीति में एक्टिव होंगे। पूर्व आकलन के अनुसार हाईकमान ने दिग्विजय सिंह को मोदी सरकार के अध्यादेशों की निगरानी के लिए बनी समिति का सदस्य बना दिया।
दिल्ली सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह के बीच कटुता कम कराने में पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अहम भूमिका निभाई है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी की तरह ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के निशाने पर मंत्री नरेंद्र मोदी आर एस एस और हार्ड कोर हिन्दुत्व का मुद्दा रहा है।जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी भगवा रंग का असर होने लगा है।