राष्ट्र आजकल/हेमंत वर्मा /राजनांदगांव छत्तीसगढ़
चुनावी सीजन में टिकट के नाम पर पैसे लेने देने की बात आम होती है लेकिन चुनाव निपटने के 8 महीने बाद इस तरह की बातो पर कोई ध्यान नहीं जाता हालांकि यह बहुत बड़ी विडंबना है कि पार्टी में निष्ठा समर्पण जैसी बातों को करने वाले अधिकतर नेता टिकट की दलाली भी करने लग जाते हैं छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी शैलजा पर भी गंभीर आरोप लगा है कि उन्होंने भी पैसे लेकर टिकट बाटा हैं कहीं उनका भी रमन सिंह के साथ तो सेंटिग तो नहीं उन्होंने कमजोर और डमी प्रत्याशी को राजनांदगांव में उतार दिया खैर बात हो रही है यहां पर महिला कांग्रेस की प्रदेश सचिव डोगरगढ़ निवासी नलिनी मेश्राम की उनके अनुसार उन्हें टिकट दिलाए जाने की 2 करोड़ में डील हुई थी जिसकी प्रथम किस्त के रूप में उन्होंने 30 लाख रुपया राजनांदगांव के पार्षद व टिकट डेलीगेशन टीम में सदस्य चंपू गुप्ता को दिया था लेकिन जब वह पैसे की बार-बार मांग कर रहा था और नहीं दे रहा था थक हार कर उन्होंने बसंतपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है यह भी बड़ा बेहद आश्चर्य की बात है कि खुद प्रदेश कांग्रेस की महिला सदस्य होने के बावजूद भी वह टिकट के लिए अपने से छोटे पदाधिकारी से संपर्क कर रही है उन्हें सीधे तत्कालीन छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा भुपेश बघेल पूर्व मुख्यमंत्री तत्कालीन डिप्टी सीएम टी एस सिहदेव
या दिल्ली जाकर मेहनत करनी थी नलिनी मेश्राम के अनुसार उन्होंने यह पैसे राजनांदगांव के ही राहुल गांधी प्रियंका गांधी सेना के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम विश्वकर्मा को दिया था घनश्याम विश्वकर्मा ने उन्हें नागपुर से घूमा ले आया और दिल्ली में किसी नेता से मुलाकात नहीं हो पाई बताया जाता है कि इस पूरे डीलिंग में राजनांदगांव के हीं एक पत्रकार सुकालू साहु भी साथ में थे लेकिन उससे भी बड़ा आश्चर्यजनक बात यह है कि सारे सबूत गवाह के बावजूद बसंतपुर पुलिस के हाथ अभी तक खाली है जबकि आम आदमी के मामले में यही पुलिस तत्परता से कार्रवाई करती है पुलिस की ऐसी क्या मजबूरी है कि बसंतपुर से महज 100 मीटर में निवासरत चंपू गुप्ता को गिरफ्तार करने में उसके पसीने छूट रहे हैं जिला पुलिस के उदाहरण ऐसे आए दिन सामने आते रहते हैं पिछले वर्ष सोमनी थाना में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भागवत साहू के लड़का के द्वारा थाने में जाकर गुंडागर्दी किया गया था जिस पर भी पुलिस नतमस्तक बनी रही एवं उसका कुछ नहीं कर पाए वही दूसरी ओर अगर आम आदमी पुलिस वाले से बदतमीजी से बात भी कर देता है तो उनकी अच्छी खासी पेशी हो जाती है लेकिन थाने में जाकर पुलिस वालों की मां-बहन धरकर उस नेताजी ने राजनीति की पकड़ को बता दिया पुलिस अगर ऐसे छोटे-मोटे राजनीतिक नेताओं की दबाव में रहेगी तो कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि ऐसे चिल्हार छाप कुकुरमुत्ता की तरह नेता तो गली-गली में हो गए हैं लेकिन हर बात में अगर कानून पर ऐसे दबाव होते गया तो कानून के लंबे हाथ कहां रह गए अब तो यह हाथ छोटे हो गए हैं