राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । जबलपुर:प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऐसे कॉलेजों को अनावेदक बनाने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए थे। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान अनावेदक बनाए गए सात नर्सिंग कॉलेजों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में नर्सिंग कॉलेज सिर्फ कागजों में संचालित होने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान कथित तौर पर संचालित कॉलेजों को अनावेदक बनाने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने अनावेदक बनाए गए सात नर्सिंग कॉलेजों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 13 अप्रैल को निर्धारित की गई है।
लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि शैक्षणिक सत्र 2000-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी। मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी। वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारिण मापदंड पूरा करता है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल के रजिस्टार को पद से हटा दिया गया था। फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी। शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है।