राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा राज्य में एक 9 साल के लड़के सहित 2 और मरीज मिले हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार (12 सितंबर) को बताया- केरल में हुई मौतें निपाह से ही हुई हैं। हमने स्थिति का जायजा लेने और इससे निपटने में राज्य सरकार की मदद के लिए एक्सपर्ट्स की एक टीम भेजी है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि दोनों मृतकों के सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए हैं। उन्होंने दो और मरीज मिलने की जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है।
उधर, केरल में निपाह वायरस की जांच के लिए चार अन्य लोगों के सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए हैं। राज्य में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है और लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, केरल में निपाह वायरस से पहली मौत 30 अगस्त को हुई थी। वहीं, दूसरी मौत 11 सितंबर को हुई थी।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 12 सितंबर को एक पोस्ट कर कहा कि सरकार निपाह वायरस से हुई दो लोगों की मौत पर गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड में अलर्ट जारी किया है। जो लोग मृतकों के संपर्क में थे, उनके बारे में पता किया जा रहा है। अभी तक राज्य में आधिकारिक तौर पर निपाह के फैलने की घोषणा नहीं की गई है।
2018 में कोझिकोड और मलप्पुरम में निपाह से 17 की मौत हुई थी
केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में 2018 में निपाह वायरस से 17 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले निपाह वायरस का मामला 2019 में कोच्चि में सामने आया था। वहीं, 2021 में भी कोझिकोड में निपाह वायरस का एक केस मिला था।
2018 में ही केरल में निपाह वायरस से 31 साल की नर्स लिनी पुथुस्सेरी की मौत हो गई थी। वे आखिरी वक्त में अपने पति और दो छोटे बच्चों से नहीं मिली थीं। मौत से पहले उन्होंने अपने पति के नाम एक इमोशनल लैटर लिखा था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
लैटर में लिखा था- ‘साजी चेट्टा, मेरा आखिरी समय आ गया है। मुझे नहीं लगता कि मैं आपको देख पाऊंगी। माफ कीजिएगा। हमारे बच्चों का ध्यान रखिएगा। उन्हें गल्फ ले जाइएगा। उन्हें अकेला मत छोड़िएगा…आप सब को बहुत सा प्यार।’
निपाह जूनोटिक वायरस है
निपाह वायरस चमगादड़ और सुअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। इस बीमारी की मरने वालों की दर बहुत ज्यादा है। अब तक इसका कोई ट्रीटमेंट या टीका (इंजेक्शन) उपलब्ध नहीं है। जूनोटिक वायरस उसे कहते हैं, जो जानवरों से इंसानों में या इंसानों से जानवरों में फैलता है।