राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । राजस्थान में बजट सत्र के बीच राहुल गांधी की किसान पंचायत की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार शाम मुख्यमंत्री निवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई। इधर राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन भी बुधवार शाम किशनगढ़ पहुंच गए। राहुल गांधी 12 व 13 फरवरी को गंगानगर, हनुमानगढ़, किशनगढ़ और मकराणा में जनसभाएं करेंगे। राहुल की इन सभाओं की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
देश के पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन इन राज्यों को छोड़ राहुल गांधी बजट सत्र के बीच राजस्थान में किसान पंचायत क्यों कर रहे हैं? कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे गहलोत की सियासी ताकत है। कांग्रेस के खाते में फिलहाल सबसे बड़ा राज्य राजस्थान ही है।
पंजाब में भी कांग्रेस की सरकार है, लेकिन यहां माहौल अशांत है। इसके अलावा भाजपा शासित प्रदेशों में राहुल को सभा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता। यही वजह है कि किसान आंदोलन की अगुवाई के लिए राहुल ने राजस्थान की राह पकड़ी। राजस्थान में सचिन पायलट इन दिनों लगातार किसान आंदोलन के समर्थन में भीड़ जुटा रहे हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद देश में किसान आंदोलन कमजोर पड़ा। कांग्रेस ने अब तय किया है कि राहुल गांधी को आगे कर इस आंदाेलन को फिर से मजबूत किया जाएगा। राहुल का दौरा सिर्फ किसान आंदोलन के समर्थन तक ही सीमित नहीं है बल्कि किसानों के सबसे बड़े तबके जाटों को भी इसके जरिए साधने की तैयारी है।
नागौर को राजस्थान का जाट हार्टलैंड माना जाता है राजस्थान में जाटों की सियासत का केंद्र बिंदु रहा है। अजमेर से किशनगढ़ से मकराणा की पूरी जाट पट्टी इस दौरे के जरिए कवर की जाएगी। यही वजह है कि राहुल इन जनसभाओं के साथ जाटों के धार्मिक स्थलों पर भी जाएंगे।
हालांकि राहुल गांधी को प्रदेश दौरे के लिए पहले जयपुर में भी जनसभा करने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि जयपुर में वे पहले भी कई बार आ चुके हैं। इसलिए इस बार मकराणा में उनकी जनसभा रखी गई है।
इसके अलावा पंजाब की सीमा से सटे हनुमानगढ़ और गंगानगर को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां किसान आंदोलनों का लंबा इतिहास रहा है। घड़साना में तत्कालीन भाजपा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस को गोलियां तक चलानी पड़ी थी। इसके अलावा यह क्षेत्र वामपंथियों के प्रभाव वाला भी माना जाता है।