Kumbh Mela 2021: प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन, इन चार नगरों में जिन्हें धार्मिक दृष्टि से तीर्थ नगरी की मान्यता मिली हुई है। यह मान्यता परंपरा से है। महर्षिवेद व्यास प्रणीत 18 पुराणों तथा 18 उपपुराणों एवं अन्य पुराणों में उपर्युक्त तीर्थों का प्रसंगानुसार उल्लेख हुआ है। भारत माता मंदिर हरिद्वार के संस्थापक निवृतमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज के शिष्य जबलपुर के महामंडलेश्वनर स्वामी अखिलेश्वारानंद गिरि महाराज ने बताया कि उक्त चारों तीर्थों में ही कुंभ महापर्वों का आयोजन सदियों से होता आया है। भारतीय कालगणना का आधार ज्योतिषीय पंचांग अनुसार ग्रह-नक्षत्रों, तिथि, योग आदि के आधार पर सूर्य का विभिन्न राशियों में जब संक्रमण (प्रवेश) होता है तब-तब कुंभ महापर्व के संयोग बनते हैं। उपर्युक्त तीर्थों में स्थान अर्थात भूमि का महत्व है। दूसरे नंबर पर वहां की सदियों से प्रवाहमान नदी का तथा तीसरे नंबर पर वहां स्थापित देव स्थान और चौथे नंबर पर उस स्थान पर अतीत में घटित घटना के प्रसंगों का महत्व है। इस कारण भारतवर्ष में महाकुंभ जैसे धार्मिक महोत्सव प्रत्येक 12 वर्ष के क्रम में होते हैं।