लोगों का यह सोचना कि गोली खाने से वे शारीरिक और मानसिक स्तर पर मजबूत हो रहे हैं, महज ख्याली पुलाव पकाने जैसा है।

राष्ट्र आजकल (लाइफस्टाइल डेस्क): देश-दुनिया में लाखों-करोड़ों लोग स्वस्थ रहने की चाह में रोजाना विटामिन और मिनरल की गोलियां खाते हैं। हालांकि, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुए एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन की मानें तो विटामिन और मिनरल की रंग-बिरंगी गोलियां शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में कुछ खास असरदार नहीं साबित होतीं।
सेहत से जुड़े एक साक्षात्कार में गोलियां खाने वाले प्रतिभागियों ने उन लोगों के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा स्वस्थ महसूस करने की बात कही, जो इनसे दूर रहते हैं। डॉ. के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में 21600 वयस्क शामिल हुए। इनमें से पांच हजार प्रतिभागियों ने नियमित रूप से विटामिन और मिनरल की गोलियां खाने की बात स्वीकारी। वहीं, 16660 ने बताया कि अच्छी सेहत की चाह में वे ऐसी किसी दवा का सेवन नहीं करते।
हालांकि, जब रक्सटन और उनके साथियों ने जीवनशैली व चिकित्सकीय इतिहास के आधार पर सभी प्रतिभागियों के शारीरिक, मानसिक और जैविक स्वास्थ्य पर गोलियों के असर का विश्लेषण किया तो इन्हें खाने तथा न खाने वालों में कोई अंतर नहीं दिखा।
रक्सटन के मुताबिक विटामिन या मिनरल की गोलियां आमतौर पर ऐसे लोग ही खाते हैं, जो अपनी सेहत को लेकर ज्यादा सजग हैं। ऐसे में उनके बीमारियों को दूर रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की गुंजाइश भी अधिक रहती है।
विटामिन या मिनरल की गोलियों को सेहत के प्रति जागरूक लोगों के बेहतर स्थिति में होने का श्रेय देना मुनासिब नहीं रहेगा। रक्सटन ने कहा, स्वस्थ जीवनशैली का असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दिखना लाजिमी है।
उन्होंने यह भी बताया कि विटामिन या मिनरल की गोलियां खाने वाले लोग उनके फायदों को लेकर आश्वस्त होते हैं। इससे मानसिक स्तर पर उनमें सुरक्षा का भाव पनपता है, जिसका सकारात्मक असर शरीर पर भी दिखता है।
-शोधकर्ताओं ने 21600 वयस्कों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का जायजा लिया।
-5000 प्रतिभागी रोज विटामिन-मिनरल की गोलियां खाते थे, 16660 ऐसा नहीं करते थे।
-30% ज्यादा स्वस्थ मिले गोलियों का सेवन करने वाले, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना थी वजह
-40% से अधिक वैश्विक आबादी रोजाना विटामिन या मिनरल की गोलियां खाती है
-मल्टीविटामिन सहित अन्य सप्लीमेंट का बाजार 3.8% सालाना की दर से बढ़ रहा है
-इसकी मौजूदा वार्षिक कमाई 1952.34 करोड़ डॉलर (लगभग 146425.20 करोड़ रुपये) है
इन दवाओं को बीमारियों की रोकथाम या बचाव की गारंटी समझकर बेवजह नहीं खाना चाहिए। रक्सटन के मुताबिक विटामिन और मिनरल की गोलियां उन लोगों के लिए बनी हैं, जो खानपान या अन्य प्राकृतिक स्रोतों के जरिये इन अहम पोषक तत्वों की जरूरत पूरी करने में असमर्थ हैं।