राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। वजन कम करने के लिए जिन तरीकों को वैश्विक रूप से सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता रहा है, इंटरमिटेंट फास्टिंग उनमें से एक है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में एक निश्चित समय में ही कुछ खाना होता है। इसके अलावा हर दिन 6-8 घंटे के लिए उपवास और फिर हल्के-पौष्टिक आहार का सेवन किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करके आसानी से फैट बर्न करने में मदद मिल सकती है। साल 2014 में अध्ययनों की समीक्षा के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग के माध्यम से 3-24 सप्ताह की अवधि में शरीर का वजन 3-8% कम किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में इंटरमिटेंट फा हरियाणवी कि मुझे भेज देना मुझे भेजते तो मुझे भेजो स्टिंग का चलन काफी बढ़ा है। इस बीच एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने इंटरमिटेंट फास्टिंग से महिलाओं में होने वाले कुछ दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं के प्रजनन हार्मोन को प्रभावित कर देती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस तरीके को प्रयोग में लाने वाली महिलाओं में मां बनने से संबंधित समस्याओं के बारे में पता चला है। हार्मोन्स असंतुलन के कारण प्रजनन के साथ-साथ शरीर में और भी कई प्रकार की जटिलताओं का जोखिम हो सकता है, ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के ऐसे उपायों को प्रयोग में लाने से बचा जाना चाहिए।
इस बीच एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने इंटरमिटेंट फास्टिंग से महिलाओं में होने वाले कुछ दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं के प्रजनन हार्मोन को प्रभावित कर देती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस तरीके को प्रयोग में लाने वाली महिलाओं में मां बनने से संबंधित समस्याओं के बारे में पता चला है। हार्मोन्स असंतुलन के कारण प्रजनन के साथ-साथ शरीर में और भी कई प्रकार की जटिलताओं का जोखिम हो सकता है, ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के ऐसे उपायों को प्रयोग में लाने से बचा जाना चाहिए। DHEA) हार्मोन, स्वाभाविक तौर पर एडर्नल ग्रंथि द्वारा उत्पादित होता है। डीएचईए, टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन सहित अन्य हार्मोन का उत्पादन करने में भी मदद करता है। इस हार्मोन में होने वाली कमी के कारण यौन रोग, सेक्स ड्राइव में कमी (कामेच्छा), नपुंसकता-बांझपन आदि का खतरा हो सकता है।