वर्तमान में जैविक पद्घति से खेती कर रहे राजपूत यह बीटल खरपतवार नष्ट करने के लिए 10 साल पहले लाए थे। तब वे खेत में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते थे।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): राजधानी के पास खजूरीकला गांव के किसान मिश्रीलाल राजपूत खेत में लगी गाजरघास के अचानक सफाचट होने से हतप्रभ रह गए। पता चला कि उनकी मदद मैक्सिन बीटल कर रहा है।
प्रयोग के तौर पर 10 वर्ष पहले बीटल को खेत में गाजरघास के बीच पालने की कोशिश की थी, लेकिन तब सफलता नहीं मिली। संभवतः इस वजह से बीटल पनप नहीं सका था। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि जैविक प्रणाली से जमीन में किसान के मित्र कीट, जीवाणु आदि अपने आप पैदा होना शुरू हो जाते हैं।
मिश्रीलाल ने बताया कि उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली (पूसा) से वर्ष 2004 में बायो पेस्ट कंट्रोल विषय में डिप्लोमा किया था। तब मैक्सिकन बीटल के बारे में जानकारी मिली थी।
मैक्सिको से मंगाते हैं बीटल पूसा के प्रमुख विज्ञानी विश्वजीत पॉल ने बताया जायगोग्रामा बाइकोलोरटा नाम के इस बीटल को मैक्सिको से मंगाया जाता है। इस वर्ष अगस्त माह में गाजरघास पर मैक्सिकन बीटल नजर आए। अब तक करीब 7 एकड़ में लगी सोयाबीन की फसल के आसपास लगी गाजर घास समाप्त हो चुकी है।
एक मादा 2500 तक अंडे देती है। बीटल की अधिकतम लंबाई 6 मिमी तक होती है। तापमान बढ़ने पर यह मिट्टी में नीचे चला जाता है।गाजरघास का खात्मा होते ही यह मरने लगता है। इसकी वजह इसे भोजन नहीं मिलना है। इस वजह से इसे मैक्सिकन बीटल के नाम से जाना जाता है। जुलाई से सितंबर माह में यह सक्रिय रहता है। यही समय गाजरघास के पनपने का होता है। 22 से 32 दिन के जीवनकाल में यह नम वातावरण में तेजी से पैदा होता है।
रासायनिक खाद, कीटनाशकों के इस्तेमाल से इस तरह के जीव नष्ट हो जाते हैं। मैक्सिकन बीटल भी उनमें से एक है। यह सिर्फ गाजरघास (पार्थेनियम) को नष्ट करता है। यह खरपतवार जमीन से पोषक तत्वों को ग्रहण करके फसलों की पैदावार को प्रभावित करता है। गाजरघास के संपर्क में आने से व्यक्ति चर्म रोग और अस्थमा का शिकार हो जाता है।