राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । शिव जी को महादेव कहा जाता है, क्योंकि वे सभी देवी-देवताओं, दैत्य, मनुष्य, नाग, किन्नर, गंधर्व, पशु-पक्षी और समस्त वनस्पति जगत के भी स्वामी हैं। शिव शब्द का एक अर्थ कल्याणकारी भी है। शिव जी की की वजह से सृष्टि में अनुशासन, संतुलन, प्राणियों में प्रेम और भक्ति का भाव रहता है। श्रीराम कहते हैं – शिवद्रोही मम दास कहावा। सो नर सपनेहु मोहि नहिं भावा। इस चौपाई का अर्थ ये है कि जो व्यक्ति शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है, वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता है। इसीलिए शिव पूजा के साथ श्रीराम चरित मानस पाठ का जरूर करें। राम नाम के जाप से शिव जी कृपा जल्दी मिल सकती है, क्योंकि शिव जी श्रीराम को अपना आराध्य मानते हैं। इन दोनों देवताओं की पूजा एक साथ करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। शिवरात्रि पर रात में जागरण का विशेष महत्व है। मान्यता है कि एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ और सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं? शिव जी ने पार्वती जी कहा कि शिवरात्रि के व्रत से सभी मेरी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।