राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि/जापान की अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाहियों में सिकुड़ने के बाद मंदी की चपेट में आ गई है। इस कारण उसकी इकोनॉमी दुनिया में तीसरे नंबर से चौथे नंबर पर पहुंच गई है। जर्मनी अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है।
जापान इस समय कमजोर करंसी, बढ़ती उम्र और घटती आबादी से जूझ रहा है। इससे पहले 2010 में चीन की अर्थव्यवस्था बढ़ने के कारण जापान दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गया था। दुनिया में पहले नंबर पर अमेरिका की इकोनॉमी है।
उम्मीद से ज्यादा 0.4% सिकुड़ी जापान की इकोनॉमी
जापान के कैबिनेट ऑफिस की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार देश की GDP 2023 के आखिरी तीन महीनों में एक साल पहले की तुलना में उम्मीद से ज्यादा 0.4% सिकुड़ी है। उससे पहले की तिमाही में इकोनॉमी 3.3% सिकुड़ी थी।
दो तिमाहियों में इकोनॉमी का सिकुड़ना यानी मंदी
लगातार दो तिमाहियों में अगर किसी भी देश की इकोनॉमी सिकुड़ती है तो टेक्निकली उसे मंदी माना जाता है। अक्टूबर में, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने अनुमान लगाया था कि जर्मनी दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन सकती है।
जापान की अर्थव्यवस्था लगभग 4.2 ट्रिलियन डॉलर
अर्थशास्त्री नील न्यूमैन के अनुसार नए आंकड़े बताते हैं कि 2023 में जापान की अर्थव्यवस्था लगभग 4.2 ट्रिलियन डॉलर रही, जबकि जर्मनी की अर्थव्यवस्था 4.5 ट्रिलियन डॉलर रही है।
• डॉलर के मुकाबले जापान की करेंसी येन में लगातार कमजोरी।
• कमजोर येन से एक्सपोर्ट पर होने वाले मुनाफे का कम होना।
• जापान लेबर की कमी और लो बर्थ डेट से भी जूझ रहा है।
कुछ सबसे बड़ी कंपनियों को येन की कमजोरी का फायदा
हालांकि, येन की कमजोरी ने जापान की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर की कीमतों को बढ़ाने में मदद की है, क्योंकि इससे देश के एक्सपोर्ट विदेशी बाजारों में सस्ते हो जाते हैं। स्टॉक एक्सचेंज, निक्केई भी 1990 के बाद 38,000 अंक को पार कर गया है।