मध्य प्रदेश के निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस पर कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए अभिभावकों के पक्ष में फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने अपने अंतरिम फैसले में कहा कि निजी स्कूल, लॉकडाउन से पहले तय की गई ट्यूशन फीस ही वसूलें। जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
निजी स्कूलों ने मांग की है कि जब कोरोना काल खत्म हो तब निजी स्कूल पूरे सत्र के अन्य मदों की फीस भी वसूल सकें, इसकी अनुमति उन्हें दी जाए। निजी स्कूलों के इस तर्क के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति उठाईं। जिस पर हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 10 सितंबर तारीख दी है। जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निजी स्कूलों को कोरोना संकट काल में केवल ट्यूशन फीस वसूलने के निर्देश दिए हैं।
यह ट्यूशन फीस भी लॉकडाउन के पहले यानि पिछले सत्र में जो ट्यूशन फीस ली जाती थी उतनी ही ली जाएगी। निजी स्कूलों की ओर से कोरोना काल के बाद अन्य मदों की फीस भी वसूलने का हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है।
निजी स्कूलों के इस रवैए के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थीं, जिस पर सुनवाई के बाद फिलहाल अंतरिम फैसला कोर्ट ने दिया है। मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को होनी है। इस दिन मामले में विस्तृत आदेश जारी होने की उम्मीद है। कोरोना संक्रमण के कारण मध्य प्रदेश के स्कूल-कॉलेज मार्च से बंद हैं, जो 30 सितंबर तक बंद रहेंगे। निजी स्कूल संचालक लॉकडाउन और कोरोना संकट के दौरान स्कूल बंद रहने के बावजूद पूरी फीस लेना चाहते थे। इसके पीछे उनका तर्क ये था कि लॉकडाउन में भी बच्चों की ऑनलाइन क्लास लगाई गई हैं, इसलिए फीस भी पूरी ली जाएगी।
बोर्ड क्लास के विद्यार्थी पालकों की अनुमति से डाउट क्लीयर करने स्कूल जा सकेंगे। मध्य प्रदेश में कोरोनावायरस के संकट को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने भी एक बड़ा फैसला किया है। इसके तहत विभाग ने आगामी 30 सितंबर तक प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं। हालांकि इस दौरान ऑनलाइन क्लास के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखी जाएगी।