बीते सात माह में 26 विधायक ने छोड़ा हाथ (पार्टी का चुनाव चि- हाथ का पंजा) का साथ छोड़ चुके हैं। भाजपा नेताओं का दावा है कि अभी भी कांग्रेस के कुछ और विधायक संपर्क हैं।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधी): मध्य प्रदेश में कांग्रेस का कुनबा बिखरता जा रहा है। पार्टी नेता लाख कोशिश करने के बाद भी इसे संभाल नहीं पा रहे हैं।
विधानसभा चुनाव 2018 से पहले कांग्रेस ने सबसे ज्यादा जोर इस बात पर ही दिया था कि नाराज नेताओं को मनाकर काम पर लगाया जाए। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिलों में जाकर ‘संगत में पंगत’ कार्यक्रम किए। इसके तहत वे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के कुछ जिलों को छोड़कर सभी जिलों में पहुंचे और नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया। माना जा रहा है कि उपचुनाव के परिणाम आने से पहले ऐसे कुछ और झटके कांग्रेस को दिए जा सकते हैं। उधर, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा सौदेबाजी पर उतर आई है।
कांग्रेस 114 विधानसभा सीटें जीतकर निर्दलीय, बसपा और सपा के समर्थन से सत्ता में आई लेकिन विधायकों की नाराजगी की खबरें लगातार सामने आती रहीं। मनमुटाव इस कदर बढ़ा कि राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समर्थक 22 विधायकों (छह मंत्री भी थे) के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कमल नाथ सरकार अल्पमत में आ गई और अंततः 20 मार्च 2020 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इस उलटफेर के बाद शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने। माना जा रहा था कि तीन विधायकों के निधन से रिक्त सीटों सहित 25 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होगा पर इसी बीच तीन कांग्रेस विधायकों, मलहरा से प्रद्युम्न सिंह लोधी ने 12 जुलाई को, नेपानगर से सुमित्रादेवी कास्डेकर ने 17 जुलाई को और खंडवा के मांधाता से नारायण पटेल ने 23 जुलाई को कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
पहले भगवानपुरा से निर्दलीय विधायक ने शिवराज सरकार को समर्थन की घोषणा की और अब कांग्रेस विधायक ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों के मुताबिक, 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की घोषणा के बाद यह माना जा रहा है कि अब विधायकों के समर्थन और इस्तीफे का सिलसिला रूक जाएगा, लेकिन यह अभी भी जारी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक का कहना है कि भाजपा सौदेबाजी पर उतर आई है। कालेधन की बोरी खोल दी है। बताया जा रहा है कि इतने झटके लगने के बाद भी कांग्रेस में संवादहीनता की स्थिति बनी हुई है। विधायकों से पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का संपर्क तो बना हुआ है पर वे भविष्य को लेकर चिंतित भी हैं। यही वजह है कि यह क्रम जारी है।
भाजपा नेता पंकज चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि कंपनी बहादुर कह रहे हैं कि भाजपा चुनाव हारने वाली है और ‘के’ कंपनी की कांग्रेस से लोग बीच चुनाव में विधायकी छोड़ रहे हैं। नादान बच्चा भी समझ जाएगा कि कौन चुनाव हार रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मामा के झोले की काली कमाई में एक और विधायक बिका। लगता है भाजपा में असली भाजपाइयों से अधिक बिके हुए गद्दार कांग्रेसी मामा भर देगा। मुझे उन ईमानदार संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं पर दया आती है, जिन्होंने भाजपा को यहां तक पहुंचाया।