एम शिक्षा मित्र ऐप पर जानकारी दर्ज कराने की शिक्षकों की स्थिति में सुधार में नहीं आ रहा है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा महज खानापूर्ति बनकर रह गई है। लापरवाह शिक्षकों की निगरानी व उन पर कार्रवाई करने की हिम्मत अधिकारी भी नहीं जुटा पा रहे हैं।
जबलपुर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): 70 फीसद शिक्षक इससे बच रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश की समीक्षा में जबलपुर जिला 36 फीसद से भी कम प्रदर्शन करने वालों में शामिल किया गया है। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा पर सरकार का पूरा जोर है। इसके बावजूद शिक्षक इसमें सहयोग नहीं कर रहे हैं।
यह स्थिति ऑनलाइन शिक्षा के लिहाज से चिंताजनक है। शिक्षाविदों का कहना है कि जब शिक्षक घर-घर जाकर ही पढ़ा रहे हैं तो ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन भी पढ़ा सकते हैं। ग्रामीण विद्यार्थी अब भी ऑफलाइन शिक्षा में ही सहज महसूस करते हैं। जब ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना में शिक्षकों की भागीदारी पर जोर दिया गया तो शिक्षक संगठनों ने कोरोना संक्रमण की स्थिति में जिम्मेदारी का सवाल उठाकर अधिकारियों पर दबाव बनाकर काम नहीं किया। जिले में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक 1 लाख 40 हजार बधो स्कूलों में दर्ज हैं। ऑनलाइन शिक्षा मामले में दयनीय स्थिति को अधिकारी डेटा अपडेट नहीं हो पाने की बात कहकर छिपाने का प्रयास भी कर रहे हैं।
प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं, जहां 35 फीसद से ज्यादा स्कूलों से एक भी शिक्षक ने एम शिक्षा मित्र पोर्टल पर जानकारी दर्ज नहीं कराई है। इनमें बड़वानी-शिवपुरी 40-40, खरगोनव धार 39-39, टीकमगढ़ 38, श्योपुर व जबलपुर 36-36 अलीराजपुर 57,आगर मालवा 50, मुरैना 46, देवास 46, निवारी व विदिशा 44-44,बुरहानपुर व रतलाम 43-43, और मंदसौर जिले के 35 फीसद शिक्षक शामिल हैं।