मौसम विज्ञानियों का कहना है कि प्रशांत महासागर में ला-नीना प्रभाव दिखने लगा है। इसके असर से नवंबर-दिसंबर माह में मध्य प्रदेश में भी जबरदस्त ठंड पड़ेगी।
भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधी): अक्टूबर माह के अंत में भले ही रात में गुलाबी ठंड का अहसास हो रहा है, लेकिन नवंबर में ठंड के तेवर काफी तीखे होने के संकेत मिले हैं।
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने बताया कि ला-नीना धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है। पहाड़ों पर बर्फ जमने से सर्द उत्तरी हवाएं ठंड में इजाफा करेंगी। इसके असर से ठंड के मौसम के लिए अनुकूल पश्चिमी विक्षोभ के आने की संख्या तो बढ़ेगी, साथ ही वे अधिक तीव्रता वाले होंगे। इससे नवंबर-दिसंबर में उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के साथ जबरदस्त बर्फबारी होगी।
यह दक्षिण-पश्चिम मानसून पर विपरीत प्रभाव डालता है। इसके विपरीत ला-नीना के प्रभाव का कारण समुद्री सतह का तापमान पूर्वी प्रशांत महासागर के सामान्य तापमान से कम होना होता है। इसका प्रभाव भी भूमध्य रेखीय एवं उप भूमध्य रेखीय क्षेत्र में पड़ता है। मौसम विज्ञानी ने बताया कि अल-नीनो प्रभाव मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर और में हवा एवं समुद्र की सतह के तापमान में अनियमितता के कारण भूमध्य रेखीय एवं उप भूमध्य रेखीय क्षेत्र के मौसम पर असर डालता है।
उन्होंने बताया कि नवंबर-दिसंबर माह में ठंडे भूमध्य रेखीय समुद्र सतही तापमान के कारण मध्यम ला-नीनो की संभावना है। इसके कारण पश्चिमी विक्षोभ की संख्या में वृद्घि होगी। इससे उत्तर भारत में वर्षा तथा बर्फबारी की आवृत्ति अधिक होगी। इस वजह से उत्तर-पश्चिमी भारत एवं मप्र में उत्तरी हवाओं के आने के कारण कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। इसका प्रभाव-जनवरी-2021 में रहने की संभावना है। सामान्य तौर पर ला-नीनो कोल्ड विंटर के लिए जाना जाता है। इसके प्रभाव से वायुमंडलीय हवा के ऊपरी भाग के पैटर्न में बदलाव के आसार हैं।