राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । दुनियाभर में इस समय कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर जारी है। अध्ययनों में ओमिक्रॉन की संक्रामता दर काफी अधिक बताई जा रही है, यही कारण है कि संक्रमण का जोखिम उन लोगों में भी लगातार बना हुआ है, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। कोरोना के इस नए वैरिएंट से बचाव का तरीका, वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है। इसी बारे में शोध कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने खतरे से बचाव को लेकर बड़ा दावा किया है। नेचर मेडिसिन जर्नल में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि जिन लोगों का ट्रिपल वैक्सीनेशन हो चुका है, उनमें ओमिक्रॉन से संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि वैक्सीन की तीन खुराक ले चुके लोगों में गुणवत्ता वाली एंटीबॉडी प्रतिक्रिया विकसित होती है जो कोरोना के इस गंभीर खतरे से उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा दे सकती है। इसके अलावा जो लोग पहले कोरोना वायरस से तीन बार संक्रमित हो चुके हैं, उनमें भी ओमिक्रॉन से मुकाबले के योग्य एंटीबॉडीज देखी गई हैं। शोधकर्ताओं ने वैक्सीन के बूस्टर डोज को लेकर एक बार फिर से जोर दिया है। आइए इस अध्ययन की खास बातों को जानते हैं। अध्ययनकर्ताओं नें ऐसी ही एंटीबॉडीज उन लोगों में भी देखीं जिनको वैक्सीन की तीन डोज मिल चुकी थीं, या फिर संक्रमण से ठीक होने के बाद जिनको दोनों डोज मिल चुकी थीं। टीयूएम के प्रोफेसर पर्सी नोल कहते हैं, टीकाकरण के माध्यम से निर्मित एंटीबॉडीज भविष्य के वायरस के विभिन्न वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी तरीके से काम कर सकती हैं। इसके अलावा ब्रेक-थ्रू इंफेक्शन से भी ठीक होने वाले लोगों में ऐसे ही प्रभाव देखने को मिले हैं।