राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आम नागरिकों का आंदोलन ‘ग्वादर को हक दो’ बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस मूवमेंट की वजह से पाकिस्तान और चीन की सरकारें मुश्किल में नजर आ रही हैं, क्योंकि यह सीधे तौर पर चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC से जुड़ा है। सोमवार को करीब 20 हजार महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतरे। इन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। हालांकि, पाकिस्तान के मेन मीडिया ने इस प्रदर्शन को कवरेज नहीं दिया। हालांकि, CPEC पर काम तो करीब 18 महीने से बंद है।
ग्वादर को हक दो आंदोलन 15 दिन पहले शुरू हुआ था। अब तक इसमें पुरुष ही ज्यादा शामिल हो रहे थे। अब महिलाएं और बच्चे भी इसमें शामिल होने लगे हैं। सोमवार को करीब 20 हजार महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतरे। इन्हें रोकने के लिए पुलिस और सेना तैनात थी, लेकिन वो भी न मार्च रोक पाए और न रैली। ये लोग ग्वादर के हर हिस्से से गुजरे और आखिर में एक रैली हुई। इसकी वजह से शहर का ट्रैफिक भी करीब-करीब पूरी तरह ठप हो गया।
महिलाओं की रैली में एक मांग पर खास जोर दिया गया। इनका आरोप है कि पाकिस्तान आर्मी ने हजारों बेकसूर बलोच नागरिकों को अगवा किया। इन लोगों का अब तक पता नहीं लग सका है। महिलाओं की मांग है कि पाकिस्तान सरकार और फौज इस बारे में जानकारी दे। इस बारे में इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ग्रुप और बाकी मानवाधिकार संगठन भी मांग कर चुके हैं। पाकिस्तान सरकार और फौज इस बारे में कोई जानकारी नहीं देती। माना जाता है कि लापता हुए लोगों में ज्यादातर बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के लोग हैं।
दिक्कत तब बढ़ी, जब चीन ने ग्वादर पोर्ट का काम शुरू किया और इस बहाने पाकिस्तान फौज के साथ मिलकर यहां के लोगों की रोजी-रोटी ही छीन ली। ग्वादर 80% लोग मछुआरे हैं। ये छोटी-छोटी नावों से मछलियां पकड़ते और इन्हें क्वेटा और दूसरे शहरों में बेचकर पेट भरते। अब चीन ने पाकिस्तान फौज के साथ पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया है। चीन के बड़े-बड़े फिशिंग ट्रॉलर्स मछलियां पकड़ते हैं और जब स्थानीय मछुआरे वहां पहुंचते हैं तो उन्हें पीटकर भगा दिया जाता है। लिहाजा, स्थानीय लोगों के सामने भुखमरी का खतरा पैदा हो गया है।