राष्ट्र आजकल/हेमंत वर्मा /राजनांदगांव छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ : राजनीतिक दल शराब और शराबियों के लिए क्या क्या सिगुफा छोड़ता है शराबबंदी की दिशा में यह कदम वह कदम न जाने कितने कदम बढ़ाते हुए नजर आती है और इसी साल छत्तीसगढ़ सरकार की नई शराब नीति देख लीजिए इसके अंतर्गत आम आदमी को चार पाव से ज्यादा दारू लेने पर पकड़े जाने का डर है लेकिन 400 पेटी शराब कोचिया को कौन दे रहा है क्या सरकार की आंख कान बंधे हुए हैं क्या उन्हें यह सब दिखाई नहीं दे रहा है या हाथी के दांत खाने की और दिखाने की और होते हैं पूर्व में लगातार राजस्व की हानि को देखते हुए तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने शराब नीति में बदलाव करते हुए कारपोरेशन के माध्यम से शराब का सरकारी करण किया और यह देश की पहली सरकार बन गई जिनकी जनता को सरकार शराब मुहैया कराने लगी और सरकार बदलने के बाद यानी की 5 साल भुपेशसरकार ने भी दारू पिलाया उसके बाद पुनः भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश में वापसी किया लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी की शराब नीति भी वही पुराने वायदों पर चल रही है शराब बंदी की ओर तो दूर की बात है शराब की खुलेआम बिक्री किया जा रहा है वह भी राशन दुकान की तर्ज पर अगर कोई आम व्यक्ति चार पाव से ज्यादा लेता है तो उसकी गिरफ्तारी का डर बना रहता है लेकिन यहा गांव गांव में 400 पेटी शराब आखिर किसके संरक्षण में और कहां कैसे पहुंच रहा है और देखिए आगे कौन है इसके पीछे सभी जानते हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से अखबारों में मीडिया की सुर्खियां बनने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से सरकार की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह उठ गए हैं राजनांदगांव जिले का आबकारी विभाग संभवतः छत्तीसगढ़ का सबसे भ्रष्ट आबकारी विभागों मे से एक है यहां बेधड़क लेनदेन होता है दारू कोचिंयो से लेनदेन होता ही है छोटे-मोटे चखना दुकानों से भी नजराना लिया जाता है इतना ही नहीं कोई ग्रामीण अगर चार पाव से अधिक शराब धोखे से ले लिए उसकी भी अच्छी खासी पेशी हो जाती है लेकिन इससे भी बेहद आश्चर्य की बात यह है कि कहां-कहां अघोषित रूप से जो सरकारी एजेंट के तौर पर शराब कोचिया को हवा पानी दे रहे भ्रष्ट घोटाले बाजो अफसरों पर उन पर किसी भी सरकार आने से या जिले में कोई भी एसपी या बड़े अधिकारी आने से कोई फर्क नहीं पड़ता उनका काम तेजी से चलता है शराब तस्कर की एक बानगी देखिए शराब तस्कर तुमड़ीबोड चौकी से महज दो किलोमीटर की दूरी पर कोपेडीह एक हरिजन परिवार विगत दस साल से शराब तस्करी कर रहा है मजाल है पुलिस वाले पकड़ ले इसकी भी एक मजेदार कहानी है यह व्यक्ति कभी दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज था लेकिन अब पुलिस वालों को महीने में दो वक्त की रोटी खिला रहा है इससे बड़ा शर्मनाक और भ्रष्ट सिस्टम कहीं नहीं हो सकता मलाल हो चौकी के द्वारा कोई कार्रवाई हो क्योंकि उन्हें अपना हिस्सा मिल जाता है इसलिए वह इधर पलट कर भी नहीं देखते पत्रकारों से आग्रह की शराब जैसी प्रेस विज्ञप्ति पर आबकारी विभाग एवं पुलिस के समाचारों का बहिष्कार करें क्योंकि शराब अवैध नहीं होता यह वैध होता है वह भी पुलिस और आबकारी के संरक्षण में यानी कि अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता हेमंत वर्मा की कलम से