शिक्षक को पहले निलंबित करते हें फिर मनचाहे स्कूल में पोस्टिंग करवाते हैं, शिक्षा विभाग में ट्रांसफर प्रक्रिया पर लगा दी रोक
राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | गवालियर में शिक्षा विभाग में ट्रांसफर प्रक्रिया पर रोक है, स्वैच्छिक स्थानांतरण की पूरी प्रक्रिया अब आनलाइन है। अब ऐसे में किसी शिक्षक को अपने मनचाहे विद्यालय में ट्रांसफर लेना हो तो क्या करे? इसका बेजोड रास्ता जिला शिक्षा अधिकारी ने निकाल लिया है। हाल ही में दो तरीकों से डीईओ, शिक्षकों को मनचाहा स्कूल दे रहे हैं, पहला रास्ता है एक छोटा सा प्रकरण बना कर गांव से निलंबित करते हैं और उस शिक्षक के मनचाहे स्कूल में उसे बहाल कर दिया जाता है। वहीं दूसरी तकनीक यह है कि शहर के स्कूलों में रिक्त पदों पर भर्ती करने के लिए शहर में मौजूद योग्य सहायक शिक्षकों को नजरअंदाज करते हुए ग्रामीण क्षेत्र से दो प्राथमिक शिक्षकों को पदस्थ कर दिया जाता है। यह काम आज-कल का नहीं है, इससे पूर्व भी डीईओ एक महिला शिक्षक को इसी प्रकार से ग्रामीण शाला से निलंबित कर के शहर में ला कर बहाल कर चुके हैं। जब इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने जांच के नाम पर घोटाला कर के मामले को दबा दिया । ऐसे ही एक मामला राजेश बाथम को शा प्रा विद्यालय, दौनी से शा. उमा विद्यालय, टकसाल मुरार में और योगेश मांझी को प्रा विद्यालय, अंतपेठ से जयसिंध स्कूल में बतौर पीटीआई पदस्थ किया गया है। कमाल की बात है कि इन दोनों को भी ग्रामीण से शहरी स्कूलों में लाया गया है , वह भी तब जब पीटीआई के रिक्त पदों को भरने के लिए शहर में पहले से ही ट्रेंड और योग्य सहायक शिक्षक मौजूद है। जो उक्त पद पर पदस्थ होने का अधिकार रखते हैं।बीते दिनों में बिल्हेटी शा विद्यालय से प्राथमिक शिक्षिका वंदना चौहान को एक छोटा सा अनियमितता का आरोप लगाकर निलंबित किया गया और फिर रामनगर मुरार की शहर शाला में बहाल कर दिया गया। इस मामले की जांच में वरिष्ठ अधिकारियों ने बड़ी सफाई से लीपा पोती कर के मामले को वहीं के वहीं दबा दिया।