राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । प्रतिवर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है, परंतु इस बार अमावस्या पर सूर्य ग्रहण रहेगा। ग्रहण काल में कोई भी त्योहार या मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। ऐसे में दीपावली का पर्व कब से कब तक मनाया जाएगा? दिवाली के त्योहार को लेकर क्या कहता है पंचांग जानिए स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा अनुसार
कब है सूर्य ग्रहण :- सूर्य ग्रहण का समय- 25 अक्टूबर को शाम 04.29 मिनट पर शुरू होकर शाम 05.42 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण के पहले और बाद तक सूतक काल रहता है। सूर्य ग्रहण भारत के साथ-साथ विश्व के कई देशों में दिखाई पड़ेगा। इसका प्रभाव भारत में बेहद आंशिक रहेगा
दीपावली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 24 अक्टूबर सोमवार को मनाया जाएगा इस दिन प्रदोष वियापनी अमावस्या है और 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण रहेगा। पंचांग भेद से 25 अक्टूबर को भी अमावस्या रहेगी। परंतु दीपावली रात्रिकालीन पूजा है और 24 अक्टूबर को शाम को अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जावेगी जिसके कारण 24 अक्टूबर को ही पूरे देश में दीपावली मनाई जाएगी
*कब से कब तक मनाई जाएगी दीपावली :- दरअसल 24 अक्टूबर को चतुर्दशी तिथि शाम 05:29:35 बजे तक रहेगी इसके बाद अमास्या प्रारंभ हो जाएगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर तक रहेगी। ऐसे में 24 अक्टूबर को पूरी रात दीपावली का पर्व मना सकते हैं। दीपावली की पूजा अमावस्या तिथि की रात में ही होती है। यह रात्रि कालीन पूजा है और 25 अक्टूबर की रात को यह तिथि नहीं रहेगी । यानी 24 अक्टूबर को शाम 05:29:35 से दीपावली का पर्व मनाया जा सकता है। पूजन के विशेष मूहर्त इस प्रकार है परदोष बेला शाम 6 बजे से 8 32 तक विर्षव लगन 7.14 से 9.11 तक एवं सिंह लगन मध्य रात्रि 1.42 से 3.57 तक पूजा की जा सकती है अगले दिन ग्रहण मोक्ष होने से पहले सूर्यास्त है। ग्रस्तास्त है। यह दूषित काल माना जाएगा। इसकी सूतक 12 घंटे पूर्व 25 तारीख को प्रात 4.31 से प्रारंभ होगी जीस की दूसरे दिन सूर्योदय के बाद शुद्धि होती है।