राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि/ अफगानिस्तान में तालिबान ने बुधवार को 14 महिलाओं सहित 63 लोगों को सार्वजनिक जगहों पर ले जाकर कोड़े मारे हैं। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, इन लोगों को समलैंगिकता, चोरी और अनैतिक संबंध बनाने का दोषी पाया गया था। महिलाओं को एक सार्वजनिक स्टेडियम में कोड़े मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस सजा की निंदा की है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के खिलाफ बताया है।
तालिबान समलैंगिकता को इस्लाम के खिलाफ मानता है। उसने सरी पुल प्रांत में स्टेडियम में पहले लोगों को इकट्ठा किया था फिर कोड़े मारे। तालिबान लोगों को इस्लाम के रास्ते पर चलने को कहता है। साथ ही लोगों से ऐसा न करने पर सजा भुगतने की धमकी देता है।
अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पहले मामले में सुनवाई की। इस दौरान आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए ज्यादा उचित समय नही दिया गया, न ही आरोपियों की बात सुनी और सीधे फैसला दे दिया।
इतना ही नहीं तालिबान ने एक व्यक्ति को स्टेडियम में हजारों लोगों के सामने पहले उसे पीटा और फिर फांसी पर लटका दिया। उस व्यक्ति पर हत्या में शामिल होने का आरोप था पर कोर्ट ने उसका पक्ष नहीं सुना और अपना फैसला दे दिया।
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद 2022 में सुप्रीम लीडर हैबातुल्लाह अखुंदजादा ने एक घोषणा की थी। इसमें सभी जजों को आदेश दिए थे कि गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से सरेआम सजा देने का चलन वापस लौटा।
24 नवंबर 2022 को तालिबान ने फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताकर पीटा था। इन 12 लोगों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं। तालिबानी अधिकारी के मुताबिक इन लोगों पर चोरी, एडल्टरी और गे सेक्स के आरोप लगे थे।
फिर नवंबर 2022 में ऐसा दूसरी बार हुआ जिसमें 19 लोगों को सरेआम सजा दी गई थी। नुरिस्तान प्रोविंस में एक महिला को म्यूजिक सुनने के आरोप में पीटा गया था। तालिबान के मुताबिक, ये सारी सजाएं शरिया कानून के मुताबिक दी थी।