राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। आज, बुधवार (17 अप्रैल) को देशभर में धूमधाम से रामनवमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस बार की रामनवमी अयोध्या के लिए बेहद खास है। 500 साल के लंबे संघर्ष के बाद राम जन्मभूमि पर रामलला का भव्य मंदिर साकार हुआ, वहीं प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है। दोपहर 12 बजे सूर्यवंशी रामलला का स्वयं भगवान सूर्य ने अपनी किरणों से तिलक किया। तीन मिनट तक सूर्य की किरणों रामलला के ललाट पर चमकती रहीं। इस दौरान गर्भगृह में अंधेरा कर दिया गया था।
सूर्य तिलक के लिए विशेष इंतजाम किया गया था। अष्टधातु के 20 पाइपों से 65 फीट लंबा सिस्टम बनाया गया है। इसमें 4 लेंस और 4 मिरर के जरिए गर्भ गृह तक रामलला के मस्तक तक किरणें पहुंचाई गईं।
सूर्य तिलक के दौरान अभिजीत मुहूर्त रहा। वाल्मीकि रामायण के मुताबिक त्रेतायुग में इसी समय श्रीराम का जन्म हुआ था। इससे पहले जगद्गुरु राघवाचार्य ने 51 कलशों से भगवान रामलला का अभिषेक किया। रामलला के प्रकट्योत्सव से पूर्व षोडशोपचार विधि से पूजन किया गया। विशेष श्रृंगार किया गया। माथे पर चंदन का लेप लगाया गया। फूलों का दिव्य हार रामलला के धारण किया है। इसके अलाव राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। शयन आरती के बाद रात साढ़े बजे रामलला के कपाट बंद किए जाएंगे।