राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। उत्तराखंड में बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर के बीच स्थित ऐतिहासिक गोपेश्वर मंदिर एक तरफ झुक गया है। मंदिर में कई जगह दरारें दिख रही हैं और छत से पानी भी टपक रहा है। मंदिर चमोली के गोपेश्वर मुख्यालय में स्थित है।
मंदिर के पुजारी हरीश भट्ट और अतुल भट्ट ने बताया कि मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन, उत्तराखंड सरकार और पुरातत्व विभाग को भी चिट्ठी लिखकर जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक इस और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को
गोपीनाथ मंदिर का गर्भग्रह 30 वर्ग फुट पर फैला हुआ है। यह रुद्रनाथ भगवान के शीतकालीन गद्दी पड़ाव का प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। इसके निर्माण की शैली कत्यूरी बताई जाती है, जिसके चलते मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दी गई है।
जोशीमठ और कर्णप्रयाग में मानसून ने चिंता बढ़ाई
इसी साल जनवरी में जोशीमठ और कर्णप्रयाग में सैकड़ों घरों, होटलों और दुकानों में दरार आई थी। मानसून आने के बाद एक बार फिर यहां के लोगों की चिंता बढ़ गई है। 6 महीने बीत जाने के बाद यहां स्थिति में पहले से सुधार तो हुआ है, लेकिन लोगों का मानना है कि अगर ज्यादा बारिश हुई तो पहाड़ धसकने से एक बार फिर ऐसी घटनाएं हो सकती हैं।
NDRF और SDRF की टीमें तैनात की गईं
चमोली के जिला अधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जोशीमठ और कर्णप्रयाग में लगातार प्रशासन की नजर बनी हुई है। आपदा से निपटने के लिए जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। यहां NDRF और SDRF की टीमें तैनात हैं।