राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है, दुनियाभर में बढ़ती आत्महत्या को रोकने को लेकर लोगों को जागरूक करने के लक्ष्य से हर साल 10 सितंबर को यह खास दिन मनाया जाता है। हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने डेटा जारी करके बताया कि साल 2021 में देश में 1.64 लाख से अधिक लोगों ने आत्महत्या की। औसतन लगभग 450 आत्महत्या रोजाना या हर घंटे करीब 18 केस। कोरोना महामारी से पहले के वर्षों की तुलना में साल 2020-21 में ये आंकड़े बढ़े हैं। यह निश्चित ही बेहद गंभीर है, आत्महत्या के बढ़ते मामलों के साथ, इसके कारकों पर गंभीरता से चर्चा किए जाने की आवश्यकता है। इंसानी स्वभाव कुछ विषयों को लेकर बहुत संवेदनशील होता है। हम हमेशा खुश दिखें, लोग हमारे बारे में अच्छा ही सोचें, हम कभी कमजोर न पड़ें, ऐसे तमाम प्रयास सतत रूप से करता रहता है, पर क्या वास्तव में सबकुछ जैसा आप सोचते हैं वैसा ही होता रहे, ऐसा संभव है? आप खुद से ही इसका जवाब मांगिएगा, हर बार आपको ‘नहीं’ सुनने को मिलेगा। पर यह ‘नहीं’ जब ज्यादा प्रभावी होने लगता है तो इसका असर हमारे मन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आप तमाम किताबों को खंगालिए, उसके सार के प्रमुख बिंदुओं में एक संदेश बहुत प्रभावी है, जिसपर गंभीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है। मैंने जितनी किताबें पढ़ीं, जितने विशेषज्ञों से बात किया और मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर रखा जाए, इस बारे में मेरी जो समझ है इन सबका लब्बो-लुआब यह है हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि एक समय ऐसा था जब वह गंभीर अवसाद की शिकार थीं, इतनी गंभीर कि उन्होंने आत्महत्या तक के प्रयास किए।